चार साहिबजादों की शहीदी से मिलती है स्वाभिमान और वीरता की प्रेरणा,ओमकार कालिया/दीपक मदान
कपूरथला( बॉबी शर्मा )चार साहिबजादों के शहीदी दिवस पर शिव सेना बाल ठाकरे द्वारा लंगर लगाया,जिसमें सैकड़ों लोगों को लंगर परोसा गया।पंजाब के इतिहास में साहिबजादों की शहादत को याद करते वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गई।उन्हीं की कुर्बानियों से ही आज हम सब आजाद भारत में सांस ले रहे है।इस अवसर पर शिव सेना बाल ठकरे के प्रदेश प्रवक्ता ओमकार कालिया व जिला प्रधान दीपक मदान ने कहा कि हमारा देश कुर्बानियों और शहादत के लिए जाना जाता है और यहां तक के हमारे गुरूओं ने भी देश कौम के लिए अपनी जानें न्यौछावर की हैं।देश और कौम के लिए अपनी शहादत देने के लिए गुरूओं के लाल भी पीछे नहीं रहें।उन्होंने कहा कि गुरूओं के बच्चों ने भी देश और कौम की खातिर अपनी जान की बाजी लगा दी।दशम पिता गुरू गोबिन्द सिंह जी के छोटे साहिबजादों की शहीदी को कौन भुला सकता है।जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अजीम और महान शहादत दी।उनकी शहादत से तो मानो सरहंद की दीवारें भी कांप उठी थी।वो भी नन्हें बच्चों के साथ हो रहे कहर को सुन कर रो पड़ी।कालिया ने कहा कि गुरू गोबिन्द सिंह को चारों साहिबजादों की शहीदी को कोई भूले से भी नहीं भुला सकता।आज भी जब कोई उस दर्दनाक घटना को याद करता है तो कांप उठता है।गुरू गोबिन्द सिंह के बड़े साहिबजादें बाबा अजीत सिंह और जुझार सिंह चमकौर की जंग मुगलों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।उन्होंने ये शहीदी 22 दिसम्बर और 27 दिसम्बर 1704 को पाई।इस दौरान बडे़ साहिबजादों में बाबा अजीत सिंह की उम्र 17 साल थी जबकि बाबा जुझार सिंह की उम्र महज 13 साल की थी।मगर जो उम्र बच्चों के खेलने कूदने की होती है उस उम्र में छोटे साहिबजादों ने शहीदी प्राप्त की।छोटे साहिबजादों को सरहंद के सूबेदार वजीर खान ने जिंदा दीवारों में चिनवा दिया था।उस समय छोटे साहिबजादों में बाबा जोरावर सिंह की उम्र आठ साल थी।जबकि बाबा फतेह सिंह की उम्र केवल 5 साल की थी।दीपक मदान ने कहा कि आज जरूरत है हमें भी दशमेश पिता के बच्चों से सीख लेने की और उनकी महानता को समझने की।दशम पातशाह साहिब श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी ने अपने लखते जिगर शहीद करवा कर सिख कौम को नई जिन्दगी बख्शी थी।हमारे मनुष्य जीवन का फायदा तभी हो सकेगा।जब हम एक दूसरे के काम आएं।और एक दूसरे की सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहें।इंसान ही एक दूसरे के काम आ सकते हैं पशु पक्षियों की बोली तो हम समझ नहीं सकते और न ही वो ही हमारी कोई सहायता कर सकते हैं।इसलिए हमें एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए।इस अवसर पर राजेश मदान,सुनील मदान,साहिल मदान,आल इंडिया आंतकवाद विरोधी फ्रंट के प्रदेश उपप्रधान राजेश भास्कर लाली,वाल्मीकि धर्मयुद्ध मोर्चा के प्रधान जिया लाल नाहर,पार्षद मनोज अरोड़ा,योगेश सोनी,लवलेश ढींगरा,अविनाश शर्मा,कर्ण जंगी,मोनू सकोटिया,शैंकी अरोड़ा,सचिन बहल,गगन जलोटा,पवन कुमार,समीर शर्मा,गुरबचन सिंह व सब्जी मंडी के आढ़तियों और मजदूरों ने भी लंगर की सेवा की।
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