हिंदुस्तान के इतिहास में आज के दिन को नव वर्ष के तौर पर मनाया जाता है हमारे ऋषि मुनि के बताए गए ग्रंथों में हिंदुस्तान कि जो नव वर्ष की गणना से ( युगाबंद, 5124, विक्रमी संवत, 2079) लेकिन पश्चिमी देशों का फैलाया हुआ एक भ्रम नया साल जो जनवरी में मनाया जाता है उसमें पूरी धरती ज्यादातर हिस्सों में बर्फबारी हुई होती है पेड़ों के पत्ते झड़ चुके होते हैं कुदरत में कोई रंग नहीं होता सिर्फ बर्फ के सिवा लेकिन यह हमारा नववर्ष हिंदुस्तान का उसमें हर डाली पर फूल पत्ते निकलने शुरू हो जाते हैं बड़ा गौरवशाली इतिहास है हिंदू धर्म का बड़े-बड़े विद्वान पैदा हुए इस देश में इस धरती पर जिन्होंने ऐसे काम किए जो पूरे विश्व को समझने में कितने वर्ष लग गए धरती और सूरज की दूरी कितनी है जो हिंदू शास्त्रों में बहुत वर्ष पहले लिख दिया गया लेकिन हमारी पीढ़ी को गुमराह किया गया आज इस दौर में हमारी संस्कृति के बारे में हमारे आने वाले बच्चों को और नौजवानों को बताना होगा पढ़ाना होगा वेद मंत्र का ज्ञान देना होगा हिंदुस्तान का इतिहास कुछ इतिहासकारों ने गलत लिखा जो अंग्रेजों के खास सिपहसालार से हिंदुस्तान सबसे बड़ी शक्ति पहले भी था और आज भी है, इसमें खास करके पहुंचे राजेश ज्योति आरके प्रेशर शशीकांत, अश्वनी मल्होत्रा , डॉ कौशल, यज्ञ दत्ता, गुलशन आहूजा राकेश महाजन सुभाष मकरंदी, रिंकू शर्मा महिला अध्यक्ष पंजाब प्रदेश ब्रह्मा फाउंडेशन रविंदर शर्मा पवन धीर, आकाश कालिया, मंगतराम
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