हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने होलिका को भेजा, होलिका दहन की पौराणिक कथा जानें – News18 हिंदी

Holika Dahan Katha: होलिका दहन 28 मार्च, रविवार को है. हिंदू संस्कृति में होली का त्योहार, दो दिवसीय पर्व होता है. इसकी शुरुआत होलिका दहन से होती है. होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को, मनाया जाता है. होलिका दहन के दिन होलिका जलाई जाती है और होलिका माई की पूजा अर्चना की जाती है. होलिका में गेहूं की बालें और प्रसाद भी अर्पित किया जाता है. होलिका दहन के अगले दिन, होली का त्योहार मनाए जाने का विधान है.
आइए जानते हैं होलिका दहन से जुड़ी पौराणिक कथा…
होलिका दहन से जुड़ी पौराणिक कथा: होलिका दहन का अपना एक धार्मिक महत्व भी होता है. यूं  तो इस दिन को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है, लेकिन उनमें से सबसे प्रचलित एक कथा के अनुसार, पौराणिक काल में असुरराज हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रहलाद भगवान श्री विष्णु का अनन्य भक्त था.
हिरण्यकशिपु काफी घमंडी था. वो चाहता था कि पूरी दुनिया उसका सम्मान करे बात मानें और हर कोई उसकी पूजा करे. हिरण्यकशिपु भगवान विष्णु से बहुत नफरत करता था.
भगवान विष्णु के प्रति प्रह्लाद की भक्ति के कारण हिरण्यकशिपु उससे काफी नाराज रहता था.हिरण्यकशिपु के लाख प्रयासों के बावजूद भी वे अपने पुत्र प्रहलाद को, ईश्वरीय भक्ति से विमुख न कर सका.
हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को काफी समझाया कि वो भगवान विष्णु की भक्ति न करे. लेकिन जब भक्त प्रह्लाद पर उसकी एक न चली तो उसने अपने बेटे को मरवाने के लिए कई प्रयास किए. कभी हाथी के पैर के नीचे कुचलवाने की कोशिश की , तो कभी छत से फिंकवा दिया.
लेकिन जब भी हिरण्यकशिपु ने भक्त प्रह्लाद पर अत्याचार किए भगवान विष्णु ने हर बार उसे बचाया और उसकी प्राण रक्षा की.
जिसके बाद हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को मारने की योजना बनाई. इसके लिए हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन की मदद ली, जिसका नाम होलिका था.
होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वो, अग्नि में जल नहीं सकती. इसी कारण होलिका अपने भाई हिरण्यकश्यप के कहने पर, प्रहलाद को लेकर एक अग्निकुंड में बैठ गई.
लेकिन ईश्वरीय कृपा से प्रहलाद बच गया और होलिका उसी अग्नि में जलकर भस्म हो गई.
माना जाता है कि इस तरह से हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को, होलिका दहन का विधान शुरु हुआ.
इसलिए इस पावन त्योहार का नाम होली पड़ा. यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. कई कथाओं में ये भी माना गया है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन पूतना नामक राक्षसी का वध किया था, जिसके उत्साह में गोपियों संग श्री कृष्ण ने होली खेली थी. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

अटेंशन पाने के लिए Anupama को नहीं Bold Look की जरूरत, Most Popular actor का गॉड गिफ्टिड है 'Killer Look'
प्रिंटेड लहंगे में बेहद खूबसूरत दिखीं Shraddha Arya, फैंस हुए फिदा, आप भी हार जाएंगे दिल! देखिए Photos
Lady Gaga Bday: जब लेडी गागा ने पहनी रॉ मीट से बनी आउटफीट, हर बार दिखा पॉपस्टार का रॉकिंग अवतार
तालिबान ने महिलाओं को फ्लाइट में अकेले सफर करने से रोका, बनाए ये नियम

source


Article Categories:
धर्म
Likes:
0

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *