Source- Google
भगवान को कोसने वाले सभी युगों- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग में रहे हैं। परंतु भगवान के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले लोगों की संख्या कलयुग में सर्वाधिक है। इस कलयुगी कालखंड में मानव ही है, जो अपने ही आराध्यों को आराध्य मानने से भय खाता है। हालांकि, ये अधिकार सबके पास है कि किसे भगवान को मानना है और किसे नहीं। पर वहीं, जब एक वर्ग भगवान को नकारने के लिए अन्य सभी आस्तिक लोगों को प्रभावित या मजबूर करने का प्रयास करे तो यह किसी बड़े अपराध से कम नहीं है। इसी बीच अपनी कुत्सित सोच को प्रदर्शित करते हुए राजस्थान के भीलवाड़ा में एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका ने छात्रों को “हिंदुइज्म: धर्म या कलंक” नामक पुस्तिका बांटी, हिन्दू देवताओं को भगवान न मानने का संदेश दिया और उसके बाद जब बवाल मचा, तो उस शिक्षिका ने दलित कार्ड खेलते हुए छात्रों के अभिभावकों को झूठे केस में SC/ST की धाराओं के तहत फंसाने की धमकी तक दे डाली।
और पढ़ें: भगवान शिवा के हाथ में शराब का गिलास: नए Instagram स्टिकर से भड़के लोग, किया कंपनी पर केस
दरअसल, भीलवाड़ा के आसींद प्रखंड के रूपपुरा गांव के एक सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों के अभिभावकों ने एक शिक्षिका निर्मला कामड़ पर बच्चों को आपत्तिजनक धार्मिक किताब बांटने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने बताया कि एक छात्रा के पास से एक किताब पर शिक्षिका निर्मला कामड़ का नाम और उनका मोबाइल नंबर लिखा हुआ मिला। जिसके बाद अगले दिन तहसीलदार बैनी प्रसाद सरगरा, आसींद SHO हरीश सांखला समेत अन्य लोग स्कूल पहुंचे। क्योंकि ग्रामीणों ने शिक्षिका पर यथोचित कार्रवाई करने की मांग करते हुए स्कूल पहुंचकर गेट का मुख्य दरवाजा बंद कर दिया था, मामला उग्र होता चला गया। जिसके बाद ग्रामीणों की मांग पर जिला शिक्षा अधिकारी ने कथित महिला शिक्षिका को स्कूल से हटाकर भीलवाड़ा मंडल स्थित प्रखंड शिक्षा कार्यालय ले जाकर जांच शुरू करने का निर्देश दिया।
छात्रों की मानें तो निर्मला पुस्तक देने के अतिरिक्त छात्रों का ब्रेन-वॉश करने का काम भी करती थी। एक छात्र के अनुसार, किताब देते हुए निर्मला यह कहती थी कि आप यह किताबें लो और भगवान के प्रति आपकी जो भी सोच है वो बाहर निकल जाएगी। इसके साथ ही वो दूसरे धर्म को प्रचारित करने के साथ हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करते हुए कहती थी कि “ब्रह्मा जी देवता नहीं थे, वो एक बलात्कारी थे, जिन्होंने अपनी बेटी के साथ बलात्कार किया।” प्रभु राम के सन्दर्भ में भी निर्मला कामड़ छात्रों के मन में जहर डालने का काम करती थी। एक छात्र ने बताया कि वो कहा करती थी कि राम, दशरथ के नहीं सप्तम ऋषि के बेटे थे। ऐसी घिनौनी सोच और हिन्दू धर्म के प्रति कुंठित मानसिकता राजस्थान के स्कूलों में उसकी एक शिक्षिका छात्रों को परोस रही थी, यह शिक्षा वभाग और राज्य की कांग्रेस सरकार के मुंह पर करारा तमाचा के समान है।
और पढे: भगवान शिव का प्रकोप: 3 इस्लामिस्टों ने स्वामी कोरागज्जा के मंदिर को अपवित्र किया, 1 की हुई मौत, दो आरोपियों ने किया आत्मसमर्पण
ज्ञात हो कि सरकारी स्कूल में हिंदू धर्म को लेकर विवादित किताबें बांटने से बवाल मचा हुआ था। जिले के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रूपपुर में छात्रों को एक महिला शिक्षिका ने ‘धर्म विरोधी’ किताबें बांटीं। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों ने टीचर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और एफआईआर दर्ज करवा दी। गांव वाले लागातर आरोपी शिक्षिका निर्मला कामड़ की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। सामूहिक रूप से दर्ज कराई गई FIR के बाद पुलिस प्रशासन ने महिला टीचर को गिरफ्तार कर लिया था और आसींद के कोर्ट में पेश किया। पूरे प्रकरण में निर्मला कामड़ की संलिप्तता को देखते हुए स्वयं कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज कर दी।
उसके बाद जब निर्मला कामड़ स्वयं को फंसते देखा, तो उन्होंने शिकायकर्ताओं पर ही आरोप जड़ दिए और खुद पर लगे आरोपों से इनकार किया। निर्मला कामड़ के अनुसार चूंकि वह दलित समुदाय से हैं, इसलिए उन्हें ग्रामीणों द्वारा परेशान किया जाता रहा है और यह सभी आरोप भी उसी से प्रेरित हैं। यह बहुत आसान है जब भी अपने कुकर्मों से पीछा छुड़ाना हो, तो सारा जुर्म दूसरे पर लाद दो, SC/ST कानून का इन्हीं जहरीली सोच वाले लोगों ने ऐसा दुरूपयोग किया है जिससे आम जनमानस में SC/ST कानून का अर्थ ये हो गया है कि सामने वाले को झूठे आरोपों में ही फंसाया गया होगा, फिर चाहे वो मामला सच ही क्यों न हो।
बढ़ती वैमन्सयता इस बात की पुष्टि करती है कि निर्मला कामड़ जैसी निर्लज्ज और नास्तिक सोच अब भी कैसे समाज में अपनी जड़ें फैलाकर जी रही हैं। भगवान को गाली दे देना ऐसे तत्वों के लिए गौरव की बात होती है। ऐसे में अब इस संदर्भ में भी सरकार को अपनी आंख सीधी करने की ज़रुरत है और एक कठोरतम दंडात्मक प्रावधान को लागू करना समय की मांग है।
और पढ़ें: हिंदू अल्पसंख्यक राज्य में तानाशाही, NIT मेघालय से भगवान गणेश की मूर्ति हटवाई गई
Witty|| पत्रकारिता धर्मी ||▫महादेव चरणं नमामि▪|| बकैती विशेषज्ञ ||
आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.
I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.
document.getElementById( “ak_js_1” ).setAttribute( “value”, ( new Date() ).getTime() );
©2022 TFI Media Private Limited
©2022 TFI Media Private Limited
and never miss an insightful take by the TFIPOST team
Author Profile
Latest entries
- राशीफल2024.04.26Aaj Ka Rashifal 26 April 2024: आज का दिन इन 7 राशियों के लिए बेहद खास, पढ़ें मेष से मीन तक का राशिफल – प्रभात खबर – Prabhat Khabar
- लाइफस्टाइल2024.04.26लाइफस्टाइल में लाएं ये 5 स्मार्ट बदलाव, जिंदगी हो जाएगी गुलजार, बरसने लगेगा धन-हेल्दी होगा मन – News18 हिंदी
- विश्व2024.04.26Israel Hamas War: हो सकता है तीसरा विश्व युद्ध, इजरायल-हमास जंग के बीच आखिर किसने दी चेतावनी? – Hindustan
- राशीफल2024.04.25Aaj Ka Rashifal: कर्क और कन्या राशि वालों को कार्यक्षेत्र में मिल सकती है तरक्की, पढ़ें दैनिक राशिफल – अमर उजाला