TV9 Hindi | Edited By: आलोक रंजन सिंह
Apr 27, 2022 | 1:54 PM
कॉमन सिविल कोड (Common civil code) पर जेडीयू और बीजेपी के नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. बीजेपी जहां कॉमन सिविल कोड वक्त की जरूरत बता रही है. वहीं जेडीयू बिहार में इसे किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देने की बात कह रही है. जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा, जेडीयू नेता और नीतीश कुमार की सरकार में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने के बाद जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा (Umesh Singh Kushwaha) ने कॉमन सिविल कोड पर सवाल उठाया है, उन्होंने कहा है कि समान नागरिक संहिता को कठोरतापूर्वक लागू करना धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप होगा
उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि यह भारत के धर्मनिरपेक्षता की भावना को प्रभावित करेगा. उन्होंने कहा कि यदि किसी धर्म विशेष में अगर कुरीतियां है तो धर्म गुरुओं की सहायता से उन कुरीतियों को समाप्त करने की कोशिश की जाए. भारत जैसे धार्मिक विविधता एवं धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के लिए यह बेहतर विकल्प होगा.
तो वहीं नीतीश सरकार के शिक्षा मंत्री और जेडीयू नेता विजय कुमार चौधरी ने कहा कि समान नागरिक संहिता को देश में आम सहमति के बगैर लागू करना ठीक नहीं. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर आम सहमति नहीं है. जेडीयू प्रदेश कार्यालय में आयोजित जन सुनवाई कार्यक्रम के बाद उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता पर जदयू का स्टैंड शुरू से ही क्लियर है इसे बिना विचार विमर्श के लागू नहीं किया जाना चाहिए.
मजेदार बात यह है कि विजय कुमार चौधरी विमर्श के बाद इसे लागू करने की बात कह रहे हैं जबकि उन्हीं के पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा ने टूक कहा था कि बिहार में नीतीश कुमार के रहते कॉमन सिविल कोड लागू नहीं किया जाएगा. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था किबिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार है और उनके मुख्यमंत्री रहते किसी भी कीमत पर समान नागरिक संहिता को लागू करने का सवाल ही नहीं है.जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा है कि देश संविधान से चल रहा है और आगे भी उसी से चलेगा. जब बिहार में समान नागरिक संहिता की जरूरत ही नहीं है, तो इसका सवाल कहां से उठता है?
तो वहीं बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा कॉमन सिविल कोड अब वक्त की मांग है. राष्ट्र हित में देश हित में सभी दलों को इस पर सहमति बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए .
समान नागरिक संहिता जैसा की नाम से ही स्पष्ट होता है सबके लिए समान. यह एक पंथनिरपेक्ष कानून होता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है. इसके लालू होने के बाद सभी मजहब के लिए एक जैसा कानून लागू होता है. भारत में अभी मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का पर्सनल लॉ है जबकि हिन्दू सिविल लॉ के तहत हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं.
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