Pauranik Katha आज गुरुवार है। आज के दिन श्री हरि यानी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। विष्णु जी से संबंधित कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक कथा आज हम आपके लिए लिए लाए हैं।
Pauranik Katha: आज गुरुवार है। आज के दिन श्री हरि यानी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। विष्णु जी से संबंधित कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक कथा आज हम आपके लिए लिए लाए हैं। इस कथा में यह बताया गया है कि आखिर ऐसा क्या हुआ था कि विष्णु जी को देवी लक्ष्मी ने रुला दिया था। तो आइए पढ़ते हैं यह कथा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्री हरि एक बार धरती भ्रमण के लिए जा रहे थे। तब देवी लक्ष्मी ने उन्हें कहा कि वो भी उनके साथ चलना चाहती हैं। तब विष्णु जी ने कहा कि वो उनके साथ एक शर्त पर ही चल सकती हैं। लक्ष्मी जी ने शर्त पूछी तो विष्णु जी ने कहा कि धरती पर चाहें कोई भी स्थिति क्यों न आए उन्हें उत्तर दिशा की तरफ नहीं देखना है। लक्ष्मी जी ने शर्त मानी और श्री हरि के साथ चल दीं।
जब दोनों धरती का भ्रमण कर रहे थे तब देवी की नजर उत्तर दिशा की तरफ पड़ी। वहीं इतनी ज्यादा हरियाली थी कि वो खुद को रोक न पाईं और बगीचें की तरफ चल दीं। वहां से उन्होंने एक फूल तोड़ा और विष्णु जी के पास आ गईं। विष्णु जी लक्ष्मी जो देखते ही रो पड़े। तब मां लक्ष्मी को विष्णु जी की शर्त याद आ गई। श्री हरि ने कहा कि बिना किसी से पूछे किसी भी चीज को छूना अपराध है। यह सुन देवी लक्ष्मी को एहसास हुआ कि उनसे गलती हो गई है। उन्होंने माफी मांगी। लेकिन श्री हरि ने कहा कि इसकी माफी को बगीचे का माली ही दे सकता है। विष्णु जी ने कहा कि लक्ष्मी जी को माली के घर दासी बनकर रहना होगा। लक्ष्मी जी ने यह सुन तुरंत ही गरीब औरत का वेस धारण किया और माली के घर चली गईं।
कभी खेत में तो कभी घर में माली ने उनसे काम कराया। लेकिन जब माली को पता चला कि वो कोई और नहीं बल्कि मां लक्ष्मी हैं तो वो रो पड़ा। उसने कहा कि जो भी उसने किया उसके लिए उसे माफ कर दें। तब लक्ष्मी जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि जो भी हुआ वो नियति थी। इसमें किसी का कोई दोष नहीं है। लेकिन माली ने जिस तरह से लक्ष्मी जी को अपने घर का सदस्य समझा उन्होंने उसकी झोली आजीवन सुख-समृद्धि से भर दी। उन्होंने कहा कि अब जीवन में उसके परिवार को किसी भी तरह का दुख नहीं भोगना होगा। इसके बाद वो विष्णु लोक वापस चली गईं।
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Edited By Shilpa Srivastava
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