[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 29 April 2022 – INSIGHTSIAS – Insights


सामान्य अध्ययन-II
सामान्य अध्ययन-III
 
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
 
 
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।
(Bhima- Koregaon Battle)
संदर्भ:
हाल ही में, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अध्यक्ष शरद पवार ने ‘कोरेगांव भीमा जांच आयोग’ (Koregaon Bhima inquiry commission) के समक्ष कुछ “कानूनी सुधारों” का सुझाव देते हुए एक अतिरिक्त हलफनामा दायर किया है, जिसमे शामिल है:
आवश्यकता:
यह परिवर्तन कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ​​कानून और व्यवस्था बनाए रखने तथा दंगों को रोकने में सक्षम बनाने को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
धारा 124A का दुरुपयोग:
धारा 124A (Section 124A) का दुरुपयोग प्रायः “सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ, उनकी स्वतंत्रता को दबाने, और शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से उठाए गई असंतोष की किसी भी आवाज को दबाने के लिए किया जाता हैं”।
इस कानून के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़िए।
आईटी अधिनियम की धारा 66A (Section 66A of the IT Act):
इस कानून के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़िए।
भीमा कोरेगांव: जांच आयोग
9 फरवरी, 2018 को राज्य सरकार द्वारा सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जेएन पटेल की अध्यक्षता में तथा अन्य सदस्य के रूप में पूर्व मुख्य सचिव सुमित मलिक को शामिल करते हुए दो सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया था।
इस आयोग को 1 जनवरी 2018 को ‘भीमा- कोरेगांव की लड़ाई’ की 200वीं बरसी पर हुई हिंसा से संबंधित घटनाओं के “सटीक क्रम” की जांच करने का कार्य सौंपा गया था।
भीमा-कोरेगांव लड़ाई के बारे में:
लड़ाई के परिणाम:
‘भीमा कोरेगांव’ को ‘दलित गौरव के प्रतीक’ के रूप में क्यों देखा जाता है?
प्रीलिम्स लिंक:
मेंस लिंक:
भीमा कोरेगांव लड़ाई का विजय उत्सव न केवल उपनिवेशवाद-विरोधी परंपरा को चुनौती देता है, बल्कि यह जातियों की हीन संस्कृति के खिलाफ दलितों की एक स्वतन्त्र संस्कृति बनाने की कहानी का भी वर्णन करता है। आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया।
 
 
विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
(Uniform Civil Code)
संदर्भ:
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने एक बार फिर ‘समान नागरिक संहिता’ (Uniform Civil Code – UCC) पर कड़ी आपत्ति जताते हुए, इसे असंवैधानिक, अल्पसंख्यक विरोधी और मुसलमानों के लिए अस्वीकार्य बताया है।
AIMPLB ने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा है, कि वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने और नफरत और भेदभाव के एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए समान नागरिक संहिता’ (UCC) मुद्दे को उठाया जा रहा है।
‘समान नागरिक संहिता’ क्या है?
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code), सभी नागरिकों के लिए, एक धर्म-निरपेक्ष रूप से अर्थात धर्म को ध्यान में रखे बिना, तैयार किए गए शासकीय कानूनों का एक व्यापक समूह होती है।
संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है, कि देश में एक ‘समान नागरिक संहिता’ (UCC) होनी चाहिए। इस अनुच्छेद के अनुसार, ‘राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक ‘समान सिविल संहिता’ सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।‘ चूंकि ‘नीति-निदेशक सिद्धांत’ प्रकृति में केवल दिशा-निर्देशीय हैं, अतः राज्यों के लिए इनका पालन करना अनिवार्य नहीं है।
भारत में निम्नलिखित कारणों से एक ‘समान नागरिक संहिता’ की आवश्यकता है:
क्या भारत में पहले से ही नागरिक मामलों में ‘एक समान संहिता’ नहीं है?
भारतीय कानून के अंतर्गत, अधिकांश नागरिक मामलों, जैसे कि- भारतीय अनुबंध अधिनियम, नागरिक प्रक्रिया संहिता, माल बिक्री अधिनियम, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, भागीदारी अधिनियम, साक्ष्य अधिनियम आदि- में एक समान संहिता का पालन किया जाता है। हालांकि, राज्यों द्वारा इन कानूनों में सैकड़ों संशोधन किए गए हैं और इसलिए कुछ मामलों में, इन धर्मनिरपेक्ष नागरिक कानूनों के अंतर्गत भी काफी विविधता है।
इस समय ‘समान नागरिक संहिता’ (UCC) वांछनीय क्यों नहीं है?
संवैधानिक व्यवधान:
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25, जो किसी भी धर्म को मानने और प्रचार करने की स्वतंत्रता को संरक्षित करने का प्रयास करता है, का भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत निहित समानता की अवधारणाओं के साथ विरोधाभास उत्पन्न हो जाता है।
 
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि गोवा में ‘समान नागरिक संहिता’ लागू है?
प्रीलिम्स लिंक:
मेंस लिंक:
इस समय ‘समान नागरिक संहिता’ (UCC) वांछनीय क्यों नहीं है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
 
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
(Karnataka anti-cow slaughter legislation)
संदर्भ:
हाल ही में आयोजित डेयरी किसानों के एक सम्मलेन में, सरकार पर ‘कर्नाटक मवेशी वध रोकथाम एवं संरक्षण अधिनियम’ (Karnataka Prevention of Slaughter and Preservation of Cattle Act) का उपयोग कर किसानों के बीच भय का माहौल पैदा करने का आरोप लगाते हुए, इन किसानों के हित में इस कानून को जल्द से जल्द रद्द किए जाने की मांग की गयी है।
संबंधित चिंताएं:
डेयरी किसानों की मांगें:
क़ानून के तहत विवादास्पद प्रावधान
जांच करने की शक्ति:
दंड-विधान
डेयरी अर्थशास्त्र:
प्रीलिम्स लिंक:
मेंस लिंक:
गौ-हत्या रोधी कानूनों के पीछे तर्क और निहितार्थ पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
 
 
विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।
(Armed Forces (Special Powers) Act – AFSPA)
संदर्भ:
हाल ही में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, कि विवादास्पद ‘सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम’, 1958 (Armed Forces (Special Powers) Act, 1958 – AFSPA) पूर्वोत्तर से पूरी तरह से हटाने के लिए कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 2014 से जारी शांतिपूर्ण परिस्थितियों के कारण आंशिक रूप से असम, मणिपुर और नागालैंड से AFSPA को (1 अप्रैल से) वापस लिया जा सकता है।
AFSPA का तात्पर्य:
साधारण शब्दों में, सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) के तहत सशस्त्र बलों के पास ‘अशांत क्षेत्रों’ में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने की शक्ति होती है।
सशस्त्र बलों को प्राप्त शक्तियां:
‘अशांत क्षेत्र’ और इसे घोषित करने की शक्ति:
AFSPA अधिनियम की समीक्षा:
19 नवंबर, 2004 को केंद्र सरकार द्वारा उत्तर पूर्वी राज्यों में अधिनियम के प्रावधानों की समीक्षा करने के लिए न्यायमूर्ति बी पी जीवन रेड्डी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की गयी थी।
समिति ने अपनी रिपोर्ट वर्ष 2005 में प्रस्तुत की, जिसमें निम्नलिखित सिफारिशें शामिल थीं:
लोक व्यवस्था पर दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की 5 वीं रिपोर्ट में भी AFSPA को निरस्त करने की सिफारिश की गयी है।
AFSPA लागू करने के लिए दिशानिर्देश:
‘नागा पीपुल्स मूवमेंट फॉर ह्यूमन राइट्स बनाम भारत संघ’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1997 के फैसले में AFSPA का इस्तेमाल करने के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए गए है:
नागा हत्याओं से AFSPA के खतरों की ओर संकेत:
दिसंबर 2021 में, नागालैंड में अपने गांव लौट रहे दिहाड़ी मजदूरों का एक समूह, 21 पैरा कमांडो यूनिट के जवानों द्वारा मार दिया गया था। बताया जाता है, कि सेना को इस क्षेत्र से NSCN(K) आतंकवादियों के गुजरने की सूचना मिली थी।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि पूर्वोत्तर में, असम, नागालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों, और असम की सीमा से लगे राज्य के आठ पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में AFSPA लागू है?
स्रोत: द हिंदू।
 
 
विषयसाइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दे।
(Recent steps to prevent Cyber Breaches)
संदर्भ:
भारत की केंद्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी, ‘कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम’ (Computer Emergency Response Team – CERT-In) ने साइबर-अतिक्रमणों (Cyber Breaches) को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:
आवश्यकता:
CERT-In द्वारा साइबर अतिक्रमण घटनाओं विश्लेषण में बाधा उत्पन्न करने वाली कुछ ‘खामियां’ पाए जाने के बाद ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम’, 2000 की धारा 70बी की उप-धारा (6) के प्रावधानों के तहत निर्देश जारी किए गए हैं।
महत्व:
‘कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम’ (CERT-In) के अनुसार, ये निर्देश देश में “समग्र साइबर सुरक्षा मुद्रा” को बढ़ाएंगे और “सुरक्षित और विश्वसनीय इंटरनेट” की गारंटी प्रदान करेंगे।
 
NTP के बारे में:
‘नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल’ (NTP) एक प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग TCP/IP -आधारित नेटवर्क पर विश्वसनीय रूप से सटीक समय स्रोतों को प्रसारित करने और प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
इसका उपयोग कंप्यूटर की आंतरिक घड़ी को एक सामान्य समय स्रोत से सिंक्रनाइज़ करने के लिए किया जाता है।
देश में साइबर हमले:
हाल के वर्षों में भारतीय संस्थाओं पर होने वाले साइबर हमलों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गयी है। उदाहरण के लिए, एक  सुरक्षा फर्म ‘पालो ऑल्टो नेटवर्क्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारतीय संगठनों पर रैंसमवेयर हमलों में ‘साल-दर-साल’ (YoY) 218% की वृद्धि हुई थी।
‘सीईआरटी-इन’ के बारे में:
सीईआरटी-इन (CERT-In) कंप्यूटर सुरक्षा संबंधी घटनाओं के होने पर प्रतिक्रिया देने हेतु एक ‘राष्ट्रीय नोडल एजेंसी’ है।
कार्य:
‘सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम’ 2008 के द्वारा साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित कार्यों को निष्पादित करने के लिए ‘राष्ट्रीय एजेंसी’ के रूप में कार्य करने के लिए ‘सीईआरटी-इन’ को अभिहित किया गया है:
 
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘साइबर अपराध पर बुडापेस्ट कन्वेंशन’ (Budapest Convention) के बारे में जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
स्रोत: द हिंदू।
 
श्रम बल भागीदारी दर (Labour force participation rate – LFPR), मुख्यतः नौकरी की मांग करने वाली काम करने की उम्र (15 वर्ष या अधिक) वाली आबादी का प्रतिशत होता है; LFPR किसी अर्थव्यवस्था में नौकरियों के लिए “मांग” का प्रतिनिधित्व करती है।
इसमें कार्यरत और बेरोजगार, दोनों तरह के लोग शामिल होते हैं।
चर्चा का कारण:
 
हर साल 23 अप्रैल को पुस्तकों को पढ़ने के लाभों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने हेतु ‘विश्व पुस्तक दिवस’ मनाया जाता है, इस दिवस को ‘विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस’ (World Book and Copyright Day) के रूप में भी जाना जाता है।
 
UNESCO ने विलियम शेक्सपियर, मिगुएल सर्वेंट्स और इंका गार्सिलासो डे ला वेगा सहित महान साहित्यकारों को श्रद्धांजलि देने के लिए 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में चुना है। इस तारीख को ही इन साहित्यकारों का निधन हुआ था।
निर्यात ऋण गारंटी निगम
‘निर्यात ऋण गारंटी निगम’ लिमिटेड (Export Credit Guarantee Corporation of India Ltd- ECGC), एक सरकारी स्वामित्व वाली निर्यात ऋण प्रदाता कंपनी है।
इसकी स्थापना वाणिज्यिक और राजनीतिक कारणों से विदेशी खरीदारों द्वारा गैर-भुगतान जोखिमों के खिलाफ निर्यातकों को ऋण बीमा सेवाएं प्रदान करके निर्यात को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
 
वर्ल्ड कोल एसोसिएशन (World Coal Association – WCA) लंदन, यूनाइटेड किंगडम में स्थित एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी, गैर-सरकारी संघ है।
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धर्म
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