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Pongal 2022: दक्षिण भारत (South India) में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक त्योहार है पोंगल (Pongal 2022). पोंगल का त्योहार (Pongal Festival) तमिल महीने ‘तइ’ की पहली तारीख से शुरू होता है. इस त्योहार को 14 जनवरी से 17 जनवरी यानि 4 दिनों तक मनाते हैं. मुख्य त्योहार पौष माह की प्रतिपदा को मनाया जाता है. दक्षिण भारत के किसान पोंगल का त्योहार फसल के पक जाने और नई फसल के आने की खुशी में मनाते हैं, साथ ही यह त्योहार संपन्नता को समर्पित किया जाता है. पोंगल पर समृद्धि लाने के लिए वर्षा, सूर्य देव, इंद्रदेव और मवेशियों को पूजने की परम्परा लम्बे समय से चली आ रही है. आज की इस कड़ी में हम पोंगल की पौराणिक कथाओं के बारे में जानेंगे.
पौराणिक कथा
पौराणि कथा के अनुसार एक बार की बात है, भगवान शिव ने अपने बैल को धरती पर एक संदेश देने के लिए भेजा. उन्होंने अपने बैल से कहा कि धरती पर जाकर मनुष्यों से कहो कि वह प्रतिदिन तेल लगाकर नहाएं और महीने में एक बार ही भोजन करें, लेकिन उनके बैल ने इसके विपरीत ही संदेश दिया और कहा कि महीने में एक बार तेल लगाकर नहाएं और प्रतिदिन भोजन करें.
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बैल की इस भूल से भगवान शंकर बहुत नाराज हुए और उन्होंने उस बैल को श्राप दिया कि तुम पृथ्वी पर रहकर किसानों के लिए खेती करने में सहायता करोगे. ऐसा बोलकर बैल को कैलाश से निकाल दिया तब से ही बैलों का उपयोग खेती करने में होने लगा.
अन्य कथा के अनुसार
एक अन्य कथा के अनुसार इंद्रदेव में देवताओं का राजा बनने के बाद बहुत अभिमान आ गया था. तब भगवान कृष्ण छोटे थे उन्होंने भगवान इंद्र को सबक सिखाने का सोचा. कृष्णा ने अपने गाँव के लोगों को भगवान इंद्र की पूजा न करने के लिए कहा. इस बात से इंद्र बहुत क्रोधित हुए. उन्होंने बादलों को तूफान के साथ तीन दिन बरसने के लिए कहा. जिससे पूरा द्वारका तबाह हो गया.
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तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया. उस समय इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान कृष्ण की शक्ति को समझा. इस घटना के बाद भगवान कृष्ण ने विशवकर्मा से पुन: द्वारका बसाने के लिए कहा. द्वारका फिर से बस गई और ग्वालों ने अपनी गायों के साथ खेती शुरू की.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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