पंजाब किंग्स 1st Inn: 137/10 (18.2) CRR: 7.47
कोलकाता नाइट राइडर्स 141/4 (14.3) CRR: 9.72
सैम बिलिंग्स 24(23) आंद्रे रसेल 70(31)
कोलकाता नाइट राइडर्स ने पंजाब किंग्स को 6 विकटों से हराया
सोशल मीडिया पर मुगल काल की चर्चा हो रही है और लोग मुगलों की ओर से किए गए काम पर चर्चा कर रहे हैं. कई लोग मुगलों की नीति का विरोध कर रहे हैं तो कुछ लोग इसके पक्ष में हैं. वैसे भी इतिहासकारों का भी अलग अलग मानना है और कई किताबों में इसका अलग अलग जिक्र है. मुगलों ने धर्म परिवर्तन करवाया है या नहीं, इसके बारे में जानने से पहले आपको बताते हैं कि आखिर अभी इसकी बात क्यों हो रही है.
दरअसल, हाल ही में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने मुगलों को लेकर एक बयान दिया है, जिसमें धर्म परिवर्तन का भी जिक्र किया गया है. उन्होंने मुगलों को सच्चा भारतीय बताया है, इसके बाद से सोशल मीडिया पर इसका जिक्र किया जा रहा है. तो जानते हैं मणिशंकर अय्यर ने क्या क्या कहा और मुगलों को लेकर बताए गए तथ्यों को लेकर इतिहास में क्या कहा गया है.
मणिशंकर अय्यर ने कहा, ‘मुगलों को सच्चा भारतीय बताया और कहा कि मुगलकाल में हिन्दुओं पर कोई जोर-जबरदस्ती नहीं हुई, अगर ऐसा होता तो जब अंग्रेजी हुकूमत ने 1872 में पहली बार जनगणना की तो भारत में 72 प्रतिशत हिन्दू और 24 प्रतिशत मुस्लिम होने की जगह 72 प्रतिशत मुस्लिम होते और 24 प्रतिशत हिन्दू. अय्यर ने आरोप लगाया कि बीजेपी को भारत के सिर्फ 80 प्रतिशत हिदू की चिंता है और 20 प्रतिशत अल्पसंख्यकों को वह देश में मेहमान ही मानती है.
उनका कहना है कि मुगलकाल में हिंदुओं का जबरदस्ती धर्मांतरण नहीं हुआ था, जबकि ऐसा कहा जाता है कि उस एरा में कई हिंदुओं को जबरदस्ती इस्लाम धर्म अपनाने पर जोर दिया गया था. अय्यर की तरह कई अन्य इतिहासकार भी कहते हैं कि उस दौरान कोई जबरदस्ती नहीं की गई थी. भारत के इतिहास की जानी-मानी इतिहासकार रोमिला थापर ने एक बार अपने लेख में मुगलकाल में हुए धर्मांतरण को लेकर जानकारी दी थी. उनके लेख के अनुसार, ‘कई बार मुगलों की सेना की अगुवाई हिंदुओं ने की है.
मेल टुडे के लेख में कहा गया था, ‘मुगलों के दौर में हिंदुओं के धर्म परिवर्तन का जितना दावा किया जाता है, असलियत में उतने बड़े स्तर पर धर्मांतरण हुआ ही नहीं. बंटवारे के पहले भी हिंदुस्तान में मुसलमान अल्पसंख्यक ही थे. ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि हिंदुओं पर धर्म बदलने के लिए कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं की गई थी. साथ ही ये मतलब नहीं समझा जाना चाहिए कि उस दौर में हिंदुओं पर बहुत अत्याचार हो रहा था.’
मुगलकाल में हिंदुओं पर हुए अत्याचार की बात होती है तो औरंगजेब का जिक्र जरूर होता है. दरअसल, आम लोगों के बीच औरंगजेब की छवि हिंदुओं से नफ़रत करने वाले धार्मिक उन्माद से भरे कट्टरपंथी बादशाह की है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमरीकी इतिहासकार ऑडरी ट्रस्चके की किताब ‘औरंगज़ेब-द मैन एंड द मिथ’ में बताया गया कि ये तर्क ग़लत है कि औरंगज़ेब ने मंदिरों को इसलिए ध्वस्त करवाया क्योंकि वो हिंदुओं से नफ़रत करता था.
लेकिन, औरंगजेब के खिलाफ कई तरह के तथ्य भी हैं. रिपोर्ट के अनुसार, यहां तक कि जवाहरलाल नेहरू ने भी 1946 में प्रकाशित अपनी किताब डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया में औरंगज़ेब को एक धर्मांध और पुरातनपंथी शख़्स के रूप में पेश किया है. कहा जाता है कि मुगल वंश में पैदा हुए औरंगज़ेब ने इस हिंदुस्तान की धरती पर अपना राज करते हुए कितना अत्याचार किया और कितने बेगुनाहों का खून बहाया. मगर अकबर के लिए ऐसा नहीं कहा जाता है.
कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिंदुस्तान की जनता पर क्रूरतम अत्याचार किए. उसने अपने राज में हिंदुओं के लिए बेहद कठोर नियम बनाए. उसने अपने शासन करने का तरीका इस्लाम आधार पर लागू किया और हिंदुओं के धार्मिक स्थानों पर टैक्स लगा दिया.
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