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जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ की साध्वी प्रमुखा साध्वी कनकप्रभा की स्मृति सभा का आयोजन अध्यात्म साधना केन्द्र में रविवार को हुआ। शासनमाता की स्मृति सभा में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया तथा दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामविलास गोयल सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
मुख्यनियोजिका साध्वी विश्रुतविभा, साध्वीवर्या साध्वी संबुद्धयशा व मुख्यमुनि मुनि महावीर कुमार ने भी उन्हें अपनी श्रद्धासिक्त श्रद्धांजलि समर्पित की।
इस दौरान आचार्यश्री ने कहा कि "आदमी जन्म लेता है, जीवन व्यतीत करता है और मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। जिस प्रकार कुश के अग्र भाग पर लटकती ओस की बूंद कब टपक जाती है, उसी प्रकार प्राणियों का जीवन है, जो न जाने कब समाप्त हो जाता है। किसी का लम्बा जीवनकाल हो सकता है तो किसी का छोटा। जन्म लेने वाला एक दिन मृत्यु को अवश्य प्राप्त होता है। जन्म और मृत्यु दो किनारे हैं तो जीवन उन तटो के बीच प्रवाहित होता है। जीवन में निर्मलता और गतिमत्ता बनी रहे, आदमी को ऐसा प्रयास करना चाहिए और उसके लिए आदमी को सतत जागरूक रहते हुए समय मात्र भी प्रमाद में नहीं जाना चाहिए।"
आज से लगभग 81 वर्ष पूर्व लाडनूं के सूरजमल बैद परिवार में जन्म लेने वाली शासनमाता साध्वीप्रमुखाजी की दीक्षा केलवा में हुई। वह दीक्षा के बाद लगभग ग्यारह वर्षों तक सामान्य साध्वियों की तरह गुरुकुलवास में रहीं। परम पूज्य आचार्य तुलसी ने गंगाशहर में उन्हें साध्वीप्रमुखा का पद प्रदान किया। उन्होंने पचास वर्षों तक साध्वीप्रमुखा के रूप में धर्मसंघ को अपनी विशिष्ट सेवाएं दीं। इस वर्ष उनके साध्वीप्रमुखा काल के 50 वर्षों की सम्पन्नता पर लाडनूं अमृत महोत्सव मनाया गया। वे तेरापंथ धर्मसंघ में विशिष्ट थीं, जिन्होंने तीन आचार्यों के साथ धर्मसंघ का कार्य किया। तेरापंथ धर्मसंघ की पहली साध्वीप्रमुखा थीं जो शासनमाता बनी।
इस अवसर विशिष्ट रूप में से उपस्थित दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा "दिव्य आत्मा शासनमाता साध्वीप्रमुखाजी के लिए मैं आज यही प्रार्थना करूंगा कि उन्हें उत्तम गति और भगवान के श्रीचरणों में स्थान मिले। भगवान ने उन्हें विशेष सोच के साथ ही जन्म दिया था, जिसे वे सार्थक बना गईं और लोगों को नवीन पथ दिखा गईं। मैं शासनमाता के चरणों में पुनः विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।"
दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामविलास गोयल ने कहा कि "मैं परम सौभाग्यशाली हूं जो मुझे शासनमाता साध्वीप्रमुखाजी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैंने उनकी ओर देखा तो मुझे लगा मैं उनके दिव्य तेज को सहन नहीं कर पा रहा हूं। वे गंगा, जमुना, सरस्वती की तरह निर्मल थीं। आचार्य तुलसी ने उनकी आंतरिक निर्मलता को देखते हुए ही उन्हें साध्वीप्रमुखा पद प्रदान किया था। लम्बे समय तक धर्मसंघ में अपनी सेवा और उस दौरान तीन-तीन गुरुओं का सान्निध्य प्राप्त करने अपने आप में विलक्षण बात है। आचार्यश्री! आज मैं आपके समक्ष उनकी आत्मा के प्रति मंगलकामना करता हूं कि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो।"
इस दौरान अहिंसा यात्रा समारोह समिति के अध्यक्ष महेन्द्र नाहटा, के.एल. जैन पटावरी, दिल्ली सभा के अध्यक्ष जोधराज बैद, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया आदि ने विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
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