चंद्रमा और सूर्य पर क्यों लगता है ग्रहण, जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा – ABP News

By: एबीपी न्यूज़ | Updated : 05 Jul 2020 11:05 AM (IST)

APTOPIX Germany Lunar Eclipse
Lunar eclipse 2020: साल 2020 का तीसरा चंद्रग्रहण लग चुका है. धीरे-धीरे यह चंद्र ग्रहण विश्व के यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में दिखाई देना शुरू हो गया है. इसकी तस्वीरें विभिन्न माध्यमों से भारत में आनी शुरू हो गई है. यह चंद्रग्रहण भारतीय समय के अनुसार सुबह 8 बजकर 37 मिनट से शुरू हुआ है और यह करीब 02 घंटे 43 मिनट 24 सेकंड बाद 11 बजकर 22 मिनट पर खत्म हो जाएगा. इस ग्रहण का असर भारत पर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई दे रहा है.
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चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथाएं
पौराणिक कथा के मुताबिक़ समुद्र मंथन के दौरान देवों और दानवों के बीच अमृत पान को लेकर विवाद चल रहा था. तो भगवान विष्णु मोहिनी एकादशी के दिन एक मोहिनी का रूप धारण किया. विवाद शांत हो जाये और अमूर्त देवताओं को मिल जाए. इसके लिए भनवान विष्णु ने  अमृत को देवताओं और असुरों के बीच बराबर – बराबर भागों में बांटने की बात कही.

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इसके लिए उन्होंने दोनों को राजी कर लिया. उसके बाद भगवान विष्णु ने देवों और असुरों को अलग – अलग लाइन में बैठा दिया. परन्तु असुरों को भगवान विष्णु की चाल समझ में आगई. उसमें से एक असुर ने देवता का रूप धारण कर देवतों की लाइन में बैठ गया. इसे भगवान विष्णु जान नहीं पाए.
असुर की इस चालाकी को सूर्य और चंद्रमा ने भगवान विष्णु से बता दी. इसपर विष्णु भगवान को क्रोध आया और अपने सुदर्शन चक्र से उस राक्षस का गला काट दिया. चूंकि वह अमृतपान कर चुका था इसलिए उसकी मृत्यु नहीं हुई. इसके सर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु बन गया. तभी से राहु-और केतु, सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानने लगे. ये राहु और केतु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ग्रस लेते हैं. इसलिए चंद्रग्रहण होता है.
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