अब बात देश और समाज को बांटने वाले नफरती ब्रिगेड की जो दिन रात हिंदू-मुसलमान (Hindu-Muslim) में हिंदुस्तान को बांटने में लगे हैं. जिन्हें ना तो संविधान की परवाह है, ना ही धर्म, कानून और समाज की. उनके एजेंडे में नफरती जहर फैलाना टॉप पर है. ऐसे में फिक्र बड़ी हो जाती है, क्योंकि देश संविधान से चलता है, कायदे और कानून से चलता है, जिसकी भावना के ये विपरीत है.
संविधान (Constitution) और कानून (Law) में अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार पर कुछ लगाम भी लगाए गए हैं. संविधान के आर्टिकल 19 में अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार पर 8 किस्म के प्रतिबंध हैं. किसी भी शख्स को धर्म के आधार पर नफरत फैलाने की इजाजत नहीं है. फिर भी अगर कोई कानून की धज्जियां उड़ाकर आपत्तिजनक या भड़काऊ बयान देता है तो दोषी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो सकती है.
धर्म को नफरत फैलाने का हथियार बना रहे हैं मुट्ठी भर लोग
ये कार्रवाई कैसी होगी, किस आधार पर होगी ये बातें हम आपको आगे बताएंगे, लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि हम आपको पहले कानून और संविधान की बात क्यों बता रहे हैं तो उसकी वजह समझ लीजिए. देश में मुट्ठी भर लोग ऐसे हैं जो छोटे फायदे के लिए देश को लंबे अरसे में बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं. धर्म को नफरत फैलाने का हथियार बना रहे हैं. असदुद्दीन औवैसी जैसे चंद नेता अपने सियासी फायदे के लिए लगातार हेट स्पीच दे रहे हैं तो दूसरी तरफ ओवैसी जैसी मानसिकता के ही कुछ और लोग हैं जो भड़काऊ बयानबाजी कर रहे हैं.
इनका मकसद बेशक सियासी ना हो, लेकिन ये लोग भी भड़काऊ बयान देकर अपना फायदा तलाश रहे हैं.ऐसा लग रहा है कि नफरती आग भड़काने में कोई किसी से पीछे नहीं रहना चाहता. रेस लगी है. चाहे नेता हों या फिर धर्म के ठेकेदार. भड़काऊ भाषण और जहरीली जुबान से तापमान को बढ़ा रहे हैं. वैसे हेट स्पीच की ये नफरती रेस सालों से जारी है, लेकिन फिर से शुरुआत कुछ दिन पहले हुई है.
हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर तक चली थी धर्म संसद
उत्तराखंड के हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर तक एक धर्म संसद चली. इस दौरान कई संतों ने ऐसे बयान दिए जो हिंदुस्तान की मजहबी एकता पर चोट की तरह थे. उनके एक एक शब्द सामाज में नफरत फैलाने वाले थे. एक जिम्मेदार चैनल होने के नाते हम इस कार्यक्रम में कहीं गई सभी बातें आपको बता नहीं सकते, लेकिन चंद बयानों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शब्दों की मर्यादा कैसे तार-तार कर दी गई.
ये गाजियाबाद में डासना देवी मंदिर के पुजारी और हाल ही में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर का अभिषेक करने वाले यति नरसिंहानंद सरस्वती हैं, जो धर्म संसद में धर्म के नाम पर कभी नसीहत दे रहे हैं तो कभी धमकी, लेकिन इस रेस में सागर सिंधुराज महाराज भी पीछे नहीं हैं. हाल में ही इस्लाम धर्म को छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने वाले जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी के भड़काऊ बयान तो पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया में वायरल हैं.
हरिद्वार के वेद निकेतन आश्रम में दिए गए ये जहर बुझे बयान अब विवादों में है. फिलहाल उत्तराखंड पुलिस ने शिकायत के बाद मुकदमा दर्ज कर लिया है. इन लोगों पर पुलिस कार्रवाई होगी या फिर देर से होगी, ये वक्त बताएगा. लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि यहां एक धर्म के नाम पर, दूसरे धर्म के खिलाफ लोगों को उबालने की साजिश जरूर की गई.
हेट स्पीच को नेता बना रहे हैं अपना चुनावी हथियार
भड़काऊ भाषणों के जरिए धर्म के नाम पर नफरत का जहर बोने वाले ये कोई आम लोग नहीं हैं बल्कि इनको सुनने और मानने वाले लोग हजारों में हैं. इनके एक-एक शब्द उनके लिए किसी आदेश से कम नहीं है, लेकिन ये हैं कि हिंदू-मुसलमान-ईसाई का नफरती खेल खेल रहे हैं. ये नफरती शब्द सिर्फ धर्म के ठेकेदारों की जुबान पर ही नहीं हैं. जहरीले बोल के लिए बदनाम AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी भी यूपी में नफरत की सियासत की फसल बो रहे हैं. हेट स्पीच को अपना चुनावी हथियार बना रहे हैं.
ये वो नेता हैं, जो खुद को अपनी कौम का प्रतिनिधि मानते हैं और दावा करते हैं कि इनको बड़ी संख्या में लोग रोल मॉडल मानते हैं, लेकिन इनकी जुबान से निकल रहे जहरीले बोल सुन लीजिए. धर्म के ठेकेदार हों या सियासत के भड़काऊ भाईजान इनका टारगेट साफ है. ये हेट स्पीच और जुबानी तरकश से एक खास कौम को भड़काना चाहते हैं. ओवैसी तो सरेआम पीएम मोदी और सीएम योगी का नाम लेकर हेट स्पीच दे रहे हैं ताकि नफरत की फसल अच्छी तरह से काटी जा सके, लेकिन बीजेपी ओवैसी के बयान को लेकर आक्रामक है. बीजेपी के नेता ओवैसी पर लगातार पलटवार कर रहे हैं.
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Published On – 2:00 am, Sat, 25 December 21
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