Hanuman Katha: जब हनुमान जी को मृत्युदंड देने पहुंचे प्रभु श्रीराम, पढ़ें यह पौराणिक कथा – News18 हिंदी

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Hanuman Katha: आज मंगलवार का दिन हनुमान जी की आराधना के लिए है. हनुमान जी भक्तशिरोमणि हैं. श्रीराम (Lord Ram) उनके प्रभु हैं और उनके लिए वह असंभव को भी संभव कर देते हैं. हनुमान जी (Lord Hanuman) की कई कथाएं आपने सुनी और पढ़ी होंगी, उनमें से ही एक कथा के बारे में आज बताने जा रहा हूं. जब भगवान श्रीराम अपने भक्त हनुमान को मृत्युदंड देने के लिए धनुष पर बाण चढ़ाए सरयू नदी के तट पर पहुंच गए. ऐसा क्यों हुआ? पढ़ें यह कथा:
एक समय की बात है काशी नरेश रामजी के दर्शन करने के लिए अयोध्या जा रहे थे. तभी नारद जी ने उनको रोक लिया और बोले कि वे राम जी के दरबार में जाकर सबको प्रणाम करें, लेकिन विश्वामित्र जी को न करें. काशी नरेश ने ऐसा करने का कारण पूछा, तो नारद जी ने कहा कि आपको पता चल जाएगा.
वे राम दरबार में जाकर वैसे ही किए, जैसे नारद जी ने कहा था. काशी नरेश के प्रणाम ने करने से विश्वामित्र जी नाराज हो गए और इसके बारे में भगवान श्रीराम से कहा. उन्होंने कहा कि काशी नरेश ने भरी सभा में सबको प्रणाम किया, लेकिन उन्हें प्रणाम नहीं किया. यह उनका अपमान है. आप मर्यादापुरुषोत्तम हो, मयार्दा के मान के लिए काशी नरेश को दंड दो. श्रीराम बोले कि आपका अपमान मेरा अपमान है, मैं प्रण लेता हूं कि आज सूर्यास्त तक काशी नरेश का वध कर दंड दूंगा.
यह बात सुनकर काशी नरेश डरकर नारद जी के पास गए और इससे बचने का मार्ग पूछा. नारद जी ने कहा कि आप माता अंजना के पास जाएं और उनके प्राण रक्षा का वचन ले लें. काशी नरेश माता अंजना के पास गए और उनके चरण पकड़ लिए. मां अंजना ने कारण पूछा तो बोले कि पहले आप रक्षा का वचन दीजिए. वचन मिलने के बाद उन्होंने पूरी घटना बताई. तब माता अंजना भी परेशान हो गईं.
उन्होंने पुत्र हनुमान को पुकारा. माता की पुकार पर हनुमान जी प्रकट हो गए. तब माता ने ​हनुमान जी की प्रशंसा की और वचन लिया कि जो कहेंगी, उनको करना होगा. माता की बात कैसे टाल सकते थे. हनुमान जी ने वचन दे दिया. तब माता अंजनी ने काशी नरेश की रक्षा की बात उनसे कही. इस पर हनुमान जी दुविधा में पड़ गए. एक तरफ माता का वचन है और दूसरी को प्रभ श्रीराम का प्रण.
बुद्धि-विद्या के स्वामी हनुमान जी काशी नरेश को साथ लेकर सरयू तट पर पहुंचे और उनको राम नाम का जप करने को कहा. काशी नरेश राम नाम का जप करने लगे. इस बीच हनुमान जी प्रभु राम के पास गए और कहा कि आप से एक वरदान प्राप्त करना चाहता हूं. मैं आपके नाम की महिमा के लिए जिसकी भी रक्षा करूं, उसमें सवर्था सफल रहूं. भगवान राम ने उनको वह वरदान दे दिया.
उसके बाद हनुमान जी काशी नरेश के पास लौट आए और उनकी रक्षा के लिए गदा लेकर खड़े हो गए. काशी नरेश के सरयू में होने की सूचना पर श्रीराम ने अपना बाण धनुष पर चढ़ाए और काशी नरेश के वध के लिए छोड़ दिया. बाण आता देख हनुमान जी ने काशी नरेश को जोर जोर से राम नाम का जाप करने को कहा. वे वैसा ही करने लगे. बाण काशी नरेश की परिक्रमा करके वापस आ गया.
प्रभु श्रीराम ने दूसरा बाण छोड़ा, तो हनुमान जी ने काशी नरेश को सीताराम सीताराम का जाप करने को कहा. वे वैसा ही करने लगे. बाण फिर उनकी परिक्रमा करके वापस हो गया. इस घटना से भगवान राम और क्रोधित हो गए. उनको पता चला कि काशी नरेश की रक्षा में हनुमान जी स्वयं वहां मौजूद हैं. भगवान राम तीसरा बाण धनुष पर चढ़ाकर सरयू तट पर स्वयं पहुंच गए. उन्होंने कहा कि आज वे काशी नरेश के साथ हनुमान को भी प्राणदंड देंगे.
प्रभु राम को आते देख हनुमान जी ने काशी नरेश को जय सीयाराम जय जय हनुमान का जाप करने को कहा. काशी नरेश प्रभु राम के प्रचंड स्वरुप को देखकर डर गए थे, लेकिन वे जोर जोर से जय सीयाराम जय जय हनुमान का जाप करने लगे. प्रभु और भक्त के बीच विचित्र स्थिति को देखकर वशिष्ठ जी हनुमान जी को समझाने गए. लेकिन हनुमान जी टस से मस नहीं हुए. इस बीच रामजी तीसरा बाण छोड़ने की तैयारी में थे, तभी विश्वामित्र जी भी वहां आ गए.
हनुमान जी ने काशी नरेश से कहा कि तुरंत जाकर विश्वामित्र जी के पैर पकड़ लें. काशी नरेश ने वैसा ही किया. काशी नरेश को चरणों में देखकर विश्वामित्र जी ने राम जी से कहा कि काशी नरेश ने अपनी भूल सुधार ली है. वे अपने कृत्य के लिए क्षमा मांग चुके हैं, अब आप भी उनको क्षमा कर दें. इस प्रकार से हनुमान जी ने सिद्ध कर दिया कि राम नाम में कितनी शक्ति है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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Tags: Dharma Aastha, Lord Hanuman, Lord Ram

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