NCP नेता नवाब मलिक का दावा है कि आर्यन खान मामले में सुर्खियों में आए NCB अफसर समीर वानखेड़े मुस्लिम हैं। मलिक के मुताबिक, वानखेडे़ ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर आरक्षण का लाभ लिया और SC कोटे से IRS बने। नवाब मलिक के आरोप अगर सही हुए तो समीर वानखेड़े की नौकरी भी जा सकती है।
आखिर किस आधार पर वानखेड़े को मुस्लिम बताया जा रहा है? उनके परिवार का बैकग्राउंड क्या है? इसमें पेंच कहां फंसा है? आरोपों पर समीर वानखेड़े और उनके परिवार का क्या कहना है? अगर आरोप सही हुए तो क्या होगा? आइये जानते हैं…
सबसे पहले मामला समझिए
NCP नेता नवाब मलिक ने ट्विटर पर वानखेड़े का निकाहनामा जारी किया है। ये निकाहनामा उनकी पहली पत्नी शबाना कुरैशी से शादी का है। इस निकाहनामे में वानखेड़े के पिता का नाम दाऊद वानखेड़े लिखा है। निकाहनामे पर 7 दिसंबर 2006 की तारीख है। निकाहनामे में बतौर गवाह अजीज खान का नाम भी हैं, जो समीर वानखेड़े की बड़ी बहन यास्मीन वानखेड़े के पति हैं।
नवाब मलिक ने समीर पर क्या आरोप लगाए हैं?
नवाब मलिक ने कहा था कि समीर वानखेड़े ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल की थी और समीर के पिता का असली नाम दाऊद वानखेड़े है, न कि ज्ञानदेव वानखेड़े और इस्लाम धर्म स्वीकार करने के बाद उन्होंने इस नाम को बदल लिया।
एक ट्वीट में नवाब मलिक ने लिखा है, ‘’मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि मैं जिस मुद्दे को उजागर कर रहा हूं, वो समीर दाऊद वानखेड़े के धर्म का नहीं है। मैं उन धोखाधड़ी वाले तरीकों को सामने लाना चाहता हूं, जिनके द्वारा उन्होंने IRS की नौकरी पाने के लिए जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया है और एक योग्य अनुसूचित जाति के व्यक्ति के हक को मारा है।”
समीर वानखेड़े का पारिवारिक बैकग्राउंड क्या है?
वानखेड़े का निकाह पढ़ाने वाले मौलाना का क्या कहना है?
मुस्लिम कानून के मुताबिक, निकाह के लिए जरूरी है कि होने वाले पति-पत्नी दोनों ही मुस्लिम हों। वानखेड़े ने निकाह किया इसका मतलब ये हुआ कि उन्होंने खुद को मुस्लिम बताया। वानखेड़े का निकाह मौलाना मुजम्मिल अहमद ने पढ़ाया है। उन्होंने भी मीडिया से यही कहा है कि समीर वानखेड़े मुस्लिम हैं और निकाह के वक्त भी उन्होंने खुद को मुस्लिम ही बताया था। उस वक्त उनका पूरा परिवार मुस्लिम ही था। अगर लड़का-लड़की मुस्लिम नहीं होते तो शरीयत के मुताबिक निकाह नहीं हो सकता।
वानखेड़े के माता-पिता के अलग धर्म और जाति को लेकर अलग-अलग सवाल उठाए जा रहे हैं। साथ ही उनकी मुस्लिम तरीके से की गई पहली शादी भी सवालों के घेरे में हैं। इन सवालों पर भारतीय कानून क्या कहता हैं, ये जानने के लिए हमने संविधान एक्सपर्ट विराग गुप्ता से बात की है। आइये इस पूरे मामले को उनसे ही समझते हैं…
सवाल: वानखेड़े की मां मुस्लिम थीं, पिता दलित थे, तो वे मुस्लिम होंगे या दलित?
जवाब: संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश 1950, के अनुसार सिर्फ हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म के लोगों को ही अनुसूचित जाति का लाभ मिल सकता है। कानून के अनुसार पिता की जाति या धर्म के आधार पर ही बच्चे का भी धर्म/जाति निर्धारित होती है। रमेश भाई बनाम गुजरात के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में एक फैसला दिया था, जिसके अनुसार सामान्यतः पिता की जाति या धर्म के आधार पर ही बच्चे की जाति और धर्म का निर्धारण होता है। हालांकि, विशेष परिस्थितयों में मां की जाति या धर्म के आधार पर भी बच्चे का वर्ग निर्धारित हो सकता है।
सवाल: जब उन्होंने मुस्लिम तरीके से शादी की तो दलित आरक्षण कैसे ले सकते हैं?
जवाब: मुस्लिम तरीके से शादी करने से कोई व्यक्ति मुसलमान नहीं हो जाता, जब तक कि वह धर्म परिवर्तन नहीं करे। शादी के लिए धर्म परिवर्तन यदि किया भी गया तो कोई व्यक्ति दोबारा हिंदू बन सकता है। इसलिए उन परिस्थितियों में भी वानखेड़े को दलित आरक्षण का लाभ मिल सकता है।
सवाल: इस शादी के बाद वो दलित माने जाएंगे या मुस्लिम ही रहेंगे? उनके बच्चे मुस्लिम होंगे या हिन्दू?
जवाब: मुस्लिम पद्धति से शादी के बावजूद भी वानखेड़े अनुसूचित जाति वर्ग के ही माने जाएंगे, यदि उनके जन्म के सर्टिफिकेट में उन्हें अनुसूचित जाति वर्ग का माना गया है। कानून के अनुसार पिता की जाति से बच्चों की जाति का भी निर्धारण होता है, इसलिए वानखेड़े के बच्चों को भी अनुसूचित जाति वर्ग का लाभ मिलेगा।
सवाल: क्या पहली शादी मुस्लिम और दूसरी शादी हिंदू रीति से हो सकती है? दोनों में से कौन सी मान्य होगी?
जवाब: पहली शादी मुस्लिम पद्धति से और दूसरी शादी हिंदू विधि से हो सकती है। कानून के अनुसार हिंदू व्यक्ति बगैर तलाक दिए दूसरी शादी नहीं कर सकता। जबकि मुस्लिम धर्म का व्यक्ति दो शादी कर सकता है। वानखेड़े ने पहली मुस्लिम शादी से तलाक ले लिया और उसके बाद दूसरी शादी हिंदू पद्धति से की है तो वह कानूनन मान्य है।
सवाल: इस पूरे विवाद से वानखेड़े को क्या समस्या हो सकती है?
जवाब: जन्म के समय यदि वानखेड़े के माता-पिता मुस्लिम थे और उन्होंने गलत तरीके से अनुसूचित जाति वर्ग का जन्म प्रमाण पत्र बनवाया है तो फिर डीओपीटी के 19 मई 1993 के सर्कुलर के अनुसार उन्हें फर्जी तरीके से नौकरी लेने का दोषी माना जा सकता है। इसके लिए उन्हें नौकरी से बर्खास्तगी के साथ आपराधिक कारवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।
सवाल: शरियत के मुताबिक शादी करने वाले दोनों पक्ष मुस्लिम होने चाहिए, तो क्या समीर ने शादी के वक्त झूठ बोला?
जवाब: काजी के बयान के बाद यह माना जा सकता है कि समीर ने गलत डिक्लेरेशन देकर खुद को मुस्लिम बताया, जबकि वह हिंदू थे। इसलिए इसके आधार पर उनकी मुस्लिम शादी अवैध घोषित हो सकती है, लेकिन उस शादी से वह पहले ही तलाक ले चुके हैं। सिर्फ शादी के आधार पर किसी के धर्म का निर्धारण नहीं हो सकता है। हालांकि, इन आरोपों के बाद समीर के धर्म और जाति का मामला संदिग्ध हो जाता है।
आरोपों पर समीर वानखेड़े और उनके परिवार का क्या कहना है?
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