कपूरथला(बॉबी शर्मा)दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से सत्संग आश्रम ढिलवां मे पाँच दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया गया। कथा के तीसरे दिन मे व्यास पीठ पर सुशोभित श्री अशुतोष महाराज जी की शिष्या प्रज्ञा चक्षु साध्वी सुश्री शची भारती जी ने भरत प्रसंग के माध्यम से बताया कि जब प्रभु श्री राम वनवास गए तब भरत वहाँ पर नही थे।ननिहाल से वापिस आ कर जब भरत जी ने अपने प्रभु श्री राम को अयोध्या में नही पाया तो वे बहुत रोए।
भरत को गहरा आघात लगा।साध्वी जी ने कहा कि सत्य का साधक वही है जो अपने आप को साधने की साधना मे रत रहता है।साध्य तक के इस सफर में साधक का सबसे बड़ा साहसिक और विश्वसनीय साथी होता है उसका संकल्प।संकल्प है तो हर अवरोध में राह है।हर विरोध में भी उत्साह है।एक बीज जब अंकुरित होने का संकल्प धारण करता है तो वह धरती की कठोरता नही देखता।सूरज के अंगारे नही देखता।वह तो बस सतत संघर्ष कर,सिर उठा कर बड़ता जाता है।यही धुन धारण कर एक साधक साध्य की ओर सतत चलता है।हे साधको आज यही संकल्प वर्तमान युग की पुकार है।गुरुदेव श्री अशुतोष महाराज जी ने जो विश्व शांति का लक्ष्य स्थापित किया है उसे भेदने की बेला आ गई है।याद रहे कोई भय कोई नकरात्मकता , कोई विरोध हमारे इस बाण संधान को भंग न कर सके।हमारा संकल्प बाण किसी की परिस्तिथि मे न चूके।सीधे लक्ष्य के हृदय का भेदन करे।साध्वी जी ने यह भी समझने का प्रयास किया कि किस प्रकार से प्रभु श्री राम जी का समर्पण एव प्रेम भाव अपने अनुज भरत के लिए है और भरत जी का आप के बड़े भाई प्रभु श्री राम जी के लिए समर्पण और प्रेम भाव है।यहां पर एक प्रश्न उठता है-क्या आज एक भाई का दूसरे भी के साथ प्रेम भाव है?उत्तर होगा नही।एक छोटी सी जमीन जायदाद के टुकड़े के लिए कुछ स्वर्ण मुद्रओं कि लिए एक भाई दूसरे भाई का कत्ल कर बैठता है।माता पिता की हतया कर बैठता है। स्वार्थ से परिपूर्ण इंसान ने अपना जीवन बना लिया।सदाचार,सौहार्द और भाईचारे की भावना आज समाज मे खत्म हो रही है।अलगाव टकराव की भावना सब में पैदा हो रही है।आज प्रभु श्री राम और भरत जैसे भाइयों की इस संसार मे नितांत आवयश्कता है। लेकिन ऐसा समर्पण भाव हमारे भीतर कब आएगा। जब हम गुरु की कृपा के द्वारा ब्रह्म तत्व के साथ जुड़ जाएंगे और ईश्वर को भीतर से जान जाएंगे।कथा मे विशेषरूप मे डॉ संदीप कुमार जी, विपिन कुमार जी, पंडित धनु अवस्थी जी, तरसेम सिंह जी (बाठ मनुखी भलाई संस्था पंजाब), कृष्ण कुमार जी, श्री कृष्ण लाल जी, संदीप पांडे जी, शंकरपाल जी, नरेश भनोट जी, रूप लाल जी, जसपाल धूना जी, गौरव मारिया जी, भरिन्दर पालजी, नरेश कुमार खिन्द्री जी,हरजिंदर सिंह जी, श्री तरुण शुक्ला जी, मैदान लाल शर्मा जी, किरणदीप जी, बाल कृष्ण जोशी जी, मनोहर लाल जी और राणा शुगर मिल बुटर से सम्मानीय सज्जन उपस्थित रहे। संस्थान की और से स्वामी रणजीतानंद जी ने आए हुए सभी श्रद्धालुओं का साधुवाद किया।कथा मे उपस्थित श्रद्धालुओं ने कथा को सुण कर व भजनों पर नृत्य कर खूब आनंद लिया। कथा के समापन में आरती में आये हुए सभी सम्मानीय सज्जनो के साथ ब्रांच प्रमुख साध्वी संदीप भारती जी और तपस्विनी भारती जी विशेष रूप में शामिल रहे। प्रशाद रूप में सभी भक्तों ने लंगर ग्रहण किया ।
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