कपूरथला(राजेश सेठी/हरप्रीत सिंह पुर्वा)दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से जैतो मे भावांजलि भजन संध्या का आयोजन किया गया।जिस के अंर्तगत सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री वैष्णवी भारती जी ने आध्यात्मिक विवेचना को सबके समक्ष प्रस्तुत किया।उन्होने बताया कि आज धरती के संसाध्नों का दोहन हो रहा है।कोयला,जल,दुर्लभ पदार्थ सब समाप्त होने की कगार पर है।ऐसे मे वैज्ञानिकों का मानना हैकि हमे रहने के लिये दूसरी धरती खोजनी होगी।
उन्होने दूर अंतरिक्ष मे ऐसे ग्रह खोज जो देखने मे धरती जैसे लगते है।उनका कहना है शायद इन पर पानी भी मिल जाऐ।नासा को अमेरिका ने लोगों को मंगल ग्रह पर ले जाने की अनुमति भी प्रदान कर दी है।चाहे मानव मंगल पर चला जाए या किसी अन्य ग्रह पर यदि उसके क्रियाकलाप ठीक न हुये तो वह उस ग्रह को भी नष्ट कर देगा।हम सब आध्यात्मिक जाग्रति को प्राप्त कर धरती को ही मंगल बनायें।पृथ्वी दिवस मनायें लेकिन जाग्रति होनी आवश्यक है।जब मनुष्य अपनी आत्मा से जाग्रत होता है तो प्रकृति का दोहन नहीं उसका पूजन करता है।
कभी समय था इस धरती के उफपर शांति गीत गुंजायमान हुआ करते थे।वनस्पति शांत हो,अंतरिक्ष शांत हो,औषध्यिां शांत हो,धरती शांत हो और धरती पर रहने वाला मानव भी शांत हो। जब मानव का मन संतुलित होगा तो यह प्रकृति अपने आप ही संतुलन मे चलेगी।इसीलिए आज आवश्यकता है उस ब्रह्मज्ञान की जिसके माध्यम से मानव का मन शांत हो सारे ब्रह्मांड को वह शांत रख सकता है।इसी कारण दिव्य धरती हो दिव्य पवन हो दिव्य हो सभी दिशायें’भजन से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।रंग दे बसंती चोला मेरा’देशभक्ति के इस भजन ने आगंतुको को झूमने पर विवश कर दिया।बताया गया कि युवाओ मे अद्भुत शक्ति समाहित होती है।असंभव कार्य को संभव करना युवाओं को ही आता है।जब-जब भी समाज का कायाकल्प करने के लिये नौजवान आगे बढ़े,तब समाज ने नूतन परिवर्तन सामने पाया।संकट चाहे सीमाओं का हो या राजनैतिक इस के निवारण के लिये युवक-युवतियों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया है। परंतु आज युवा पथभ्रष्ट हो चुका है।
नशाखोरी,अश्लीलता,चरित्राहीनता आदि व्यसन उन के जीवन में आ चुके है।उन्हें देश,समाज से कुछ लेना देना नहीं है।हमे समझना होगा कि यौवन इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि हम कितने छोटे है अपितु इस पर कि हम में विकसित होने की क्षमता एवं प्रगति करने की योग्यता कितनी है।
विकसित होने का अर्थ है-अंतरनिहित शक्तियों का जागरण।जब शक्ति का जागरण होता है तो सर्वप्रथम व्यक्ति मानव बनता है पिफर वह अपनी संस्कृति से प्रेम करता है।तब मां भारती के लिए मरमिटने की भावनाएं पैदा होती हैं।आध्यात्मिक उफर्जा के मन मे स्पंदित होते ही कर्तव्य बोध्,दिशा बोध् का भान होता है।जब दिशा का पता चलता है तो दशा सुध्र जाती है।स्वामी विवेकानंद जी,स्वामी रामतीर्थ जी महान देशभक्त हुए हैं। इन्होने विदेशों में जाकर भारतीय संस्कृति का बिगुल बजाया तो इसके पीछे आध्यात्मिक शक्ति ही कार्यरत थी।श्रीमद भगवदगीता युवकों का आहवान करती हैकि ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर अपनी उफर्जा को पहचानें।कबीर जी की रचना साधे सो सतगुरु मोहे भावे से बताया कि गुरु एक कैटालिटक एजेंट का कार्य करता है।कैटालिटक एजेंट वह तत्व होता है जो स्वयं नहीं बदलता पर उसके सान्निध्य में आये अन्य तत्वों में परिवर्तन उत्पन्न कर देता है।जैसे लोहे में जंग तब लगता है जब लोहा आक्सीजन के संपर्क में आता है।लोहे में जंग लगने में पानी कैटालिटिक एजेंट का कार्य करता है।परमात्मा की शक्ति भीतर है और गुरु जीव में शक्ति का प्राकट्य कर देता है।
Author Profile
Latest entries
- पंजाब2024.04.19होशियारपुर से टिकट न मिलने पर पंजाब में बीजेपी छोड़ सकते हैं,, विजय सांपला,
- पंजाब2024.02.01लोकसभा चुनावो के लिए कार्यकर्ताओं पूरी तरह अलर्ट मोड पर रहे,मंजीत सिंह/शाम सुंदर अग्रवाल
- धर्म2024.02.01विजय चोपड़ा ने सदैव अच्छे कार्य के लिए प्रेरित किया है,नरेश पंडित
- पंजाब2024.02.01मुख्यमंत्री मान राज्य में उद्योग को बढ़ावा दे रहे हैं-गुरविंदर साही