Gudi Padwa 2022: गुड़ी पड़वा हिन्दू का प्रसिद्ध त्योहार है। मान्यता है कि, गुड़ी पड़वा के दिन से ही हिन्दू नववर्ष प्रारंभ होता है। महाराष्ट्र समेत भारत के कई राज्यों में इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा के पर्व को मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। तो आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा की कथा और पूजा विधि के बारे में…
ये भी पढ़ें: Gudi Padwa 2022: गुड़ी पड़वा साल 2022 में कब है, जानें इसका ये महत्व
गुड़ी पड़वा 2022
गुड़ी पड़वा डेट और वार
साल 2022 में गुड़ी पड़वा का पर्व 02 अप्रैल 2022, दिन शनिवार
प्रतिपदा तिथि आरंभ
01 अप्रैल सुबह 11:56 बजे से
प्रतिपदा तिथि समाप्त
02 अप्रैल दोपहर 12:00 बजे से
गुड़ी पड़वा कथा
गुड़ी पड़वा का पर्व दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है। त्रेतायुग में दक्षिण भारत को वानरों के राजा बालि का राज्य माना जाता था। जिस समय रावण ने माता सीता का हरण किया था। उस समय रावण से माता सीता को वापस लाने के लिए भगवान श्रीराम को एक विशाल सेना की आवश्यकता थी। भगवान श्रीराम माता सीता को खोजते हुए दक्षिण भारत की और गए जहां उनकी भेंट सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने भगवान श्रीराम को अपने बड़े भाई और वानरों के राजा बालि के सभी अत्याचारों के बारे में बताया और उनसे सहायता मांगी। सुग्रीव के कहने पर भगवान श्रीराम ने वानरराज बालि को मार दिया। जिस दिन बाली का वध हुआ था। उस दिन गुड़ी पड़वा का ही दिन था।
गुड़ी पड़वा से जुड़ी एक दूसरी कथा के अनुसार, राजा शालिवाहन के पास युद्ध के लिए कोई भी सेना नहीं थी। इसलिए उसने एक मिट्टी की सेना का निर्माण किया था और उनमें प्राण डाले थे। जिस दिन शालिवाहन ने मिट्टी के पुतलों में प्राण फूंके थे उस दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ही दिन था। तब ही गुड़ी पड़वा के दिन विजयपताका फहराई जाती है। शक का आरंभ भी शालिवाहन से ही माना जाता है। क्योंकि शालिवाहन ने अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त की थी।
गुड़ी पड़वा की पूजा विधि
गुड़ी पड़वा के दिन सुबह जल्दी उठकर बेसन का उबटन और तेल लगाने के बाद ही स्नान किया जाता है। घर में जिस स्थान पर गुड़ी लगाई जाती है। उस जगह को अच्छी तरह से साफ कर लें और गुड़ी के स्थान को स्वच्छ करने के बाद पूजा का संकल्प लें। तथा साफ किए गए स्थान पर एक स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद बालू मिट्टी की वेदी बना लें। इसके बाद सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर हल्दी कुमकुम से रंगे। इसके बाद अष्टदल बनाकर ब्रह्मा जी की मूर्ति स्थापित करके विधिवत पूजा करें। पूजा के बाद गुड़ी यानी एक झंड़ा स्थापित करें।
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
© Copyrights 2021. All rights reserved.
Powered By Hocalwire
Author Profile

Latest entries
राशीफल2023.05.30Aaj Ka Rashifal 18 February 2023: आज वृषभ, कन्या सहित इन 4 राशियों पर रहेगा शिवजी की विशेष कृपा, जानें अपना भविष्यफल – NBT नवभारत टाइम्स (Navbharat Times)
लाइफस्टाइल2023.05.30सत्यप्रेम की कथा में कियारा अडवाणी की दिखी बेपनाह प्यार की झलक – Navodaya Times
धर्म2023.05.30ऋतिक रोशन ने प्रेजेंट किया पैन इंडिया फिल्म ARM का टीजर, मलयालम सिनेमा की तस्वीर बदल सकता है ये मोमेंट – Aaj Tak
विश्व2023.05.30दुनिया में कुल कितने मुसलमान हैं? किस देश में सबसे ज्यादा इस्लाम को … – ABP न्यूज़