मनोरंजन के आधुनिक साधन (Manoranjan ke adhunik and prachin sadhan in hindi)
आज के इस समय में हर इंसान भाग रहा है, आज का भारी भरकम काम और उस काम में पहले बने रहने की होड़ इंसान को बुरी तरह थका देती है. जिस तरह से शरीर के लगातार काम करते रहने के बाद उसे आराम और भोजन की जरूरत होती है. उसी प्रकार मन और दिमाग को भी आराम की जरूरत होती है, उसके लिए मनोरंजन की जरूरत होती है. लगातार काम करते रहने के लिए मनोरंजन बहुत जरूरी है. आज हम आपको कुछ ऐसे ही मनोरंजन के साधनों के बारे में बता रहे है.
समय और सभ्यता के हिसाब से मनोरंजन के साधनों में बदलाव आते रहे है. पहले के समय में आज की तरह टेलीविजन, मोबाइल फ़ोन, इंटरनेट, आदि चीजे उपलब्ध नहीं थी. मनोरंजन के कई प्रकार के दुसरे साधन हुआ करते थे, जिसे लोग अलग अलग तरह से उपयोग में लेते थे. पहले घुड़सवारी, शतरंज, चौपाल, ढोलक, और कई सारे क्षेत्रीय संगीतो के माध्यम से लोग अपने शौक के अनुसार चीजो का उपयोग करके मनोरंजन करते थे.
हम आपको यहाँ बताते है कि किस तरीके से मनोरंजन के साधनों का उपयोग होता था –
कई सारे लोग अलग अलग रूपों में पब्लिक को हंसाते है.
मनोरंजन के प्राचीन प्रमुख साधन (Manoranjan ke prachin sadhan)–
चौपाल में मनोरंजन –
गाँव में कई सारे लोग फ्री समय में एक जगह इक्कठे होते थे और ढोलक, हारमोनियम, और कई सारे वाद्य यंत्रो का उपयोग करके खुद का मन बहलाते थे और खुद को तरोताजा करते थे. गाँव में जो भी व्यक्ति किसी ख़ास चीज में एक्सपर्ट होता था, तो वो सारे गाँव के सामने चौपाल में उस चीज का प्रदर्शन करता था और बाकी लोगो का मनोरंजन होता था.
खेल –
पहले लोग खेल को अत्याधिक महत्व दिया करते थे, तो शतरंज, कुश्ती, कब्बडी, पासा, क्रिकेट और बहुत सारे खेल थे. शाम होते ही बच्चे घर के पास वाले मैदान में कई तरह के खेल खेला करते थे. बड़े लोग भी, छुट्टी के दिन इक्कठे होकर, खेल प्रतियोगिता का आयोजन करते थे. पहले के समय में खेल जीवन का मुख्य हिस्सा हुआ करता था.
सिनेमाघरों की शुरुआत –
इसकी शुरुआत 1913 में हुई. गली में नुक्कड़ नाटक, चौपाल,रेडिओ, ग्रामीण संगीत से बढ़कर एक दुनिया आई, जिसे सिनेमा का नाम दिया गया. इसने आते ही मनोरंजन के जगत में एक अलग सी हलचल मचा दी. अब लोगो के मनोरंजन का एक अलग साधन आ गया, जो बड़े आकार का था. पहले के समय में सिनेमा इतना विकसित नहीं था और लोग इसे ज्यादा पसंद नहीं करते थे , लेकिन फिर समय के साथ इसका एक अलग ही रूप देखने को मिला. बड़े से परदे में गीत संगीत, और एक्टिंग का विशाल रूप लोगो के मनोरंजन का बड़ा साधन बना.
टीवी, दूरदर्शन की शुरुवात –
फिर समय बदला विज्ञान के चमत्कार से जगत ने तरक्की के नए नए साधन आए. इन सब साधनों से बढ़कर एक चीज आई जिसका नाम है टेलीविजन और उसमे विशेष रूप से चलने वाला दूरदर्शन. दूरदर्शन ने मनोरंजन के तौर तरीके बदल दी और सुबह, शाम, रात हर समय मनोरंजन करने लगा. गीत-संगीत, समाचार, मूवी, बच्चों के कार्यक्रम और कई सारे स्वास्थ्य सम्बंधित कार्यक्रम दिखा के दूरदर्शन खासा पसंद किया जाने लगा.
उसी समय रेडिओ, वॉकमेन ( हेडफ़ोन लगाकर संगीत सुनने का यन्त्र ), वीसीआर और कई सारे मनोरंजन के साधनों का आविष्कार होने लगा और लोग उन चीजो का लुफ्त लेने लग गए और खुद को खुश करने लग गए. मनोरंजन का क्षेत्र हमेशा तरक्की की ओर अग्रसर रहा, और समय समय में इसने नए नए साधनों का अविष्कार होता ही रहा है.
आधुनिक मनोरंजन –
आज मनोरंजन के साधनों में बहुत ज्यादा तरक्की हो गई है, हर तरफ मनोरंजन की चीजे, मनोरंजन के साधन है, जो आसानी से उपलब्ध है.
आज के मनोरंजन के प्रमुख साधन (Manoranjan ke adhunik sadhan)–
आज मनोरंजन हमारे एक क्लिक की दूरी में है और वो भी मनचाहा. जब चाहें जैसा चाहें, जहाँ चाहें, वैसे मनोरंजन के साधन हम हमारे सामने ला सकते है.
इंटरनेट है सबसे बड़ा माध्यम –
आज के समय में मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन इंटरनेट है, इंटरनेट में हर तरह के संगीत, खेल, देश दुनिया की खबर, इतिहास, ज्ञान की बातें और पसंदीदा जगहे हर चीजे उपलब्ध है. इंटरनेट के माध्यम से सोशल मीडिया ने आज के मनोरंजन जगत में क्रान्ति ला दी है. मोबाइल फ़ोन में एक दुसरे से बात करना, मेसेज करना, चैटिंग करना, खुद की तस्वीरे एक दुसरे के साथ शेयर करना, कई सारे चीजे है, जो मनोरंजन का साधन बन चुकी है.
स्मार्ट टीवी में चैनलों की भरमार –
आज के समय में टीवी पर अनेकों चैनल उपलब्ध है. आज हम लोग टीवी के सामने में बैठकर कंफ्यूज हो जाते है कि, क्या देखें और क्या ना देखें ? समाचार, कॉमेडी, मूवीज, बच्चों के प्रोग्राम, महिलाओ के प्रोग्राम हर तरह के अलग अलग चैनल उपलब्ध है, बस एक बटन दबाते ही मनचाहा मनोरंजन सामने आ जाता है.
सिनेमाघर मल्टीप्लेक्स में तब्दील हो गए –
पहले जहाँ एक सिनेमाघर में एक टाइम पर एक ही मूवी हमारे मनोरंजन के लिए लगती थी, वहीं आज एक साथ कई सारी मूवीज लग सकती है, जिसको मल्टीप्लेक्स थिएटर्स कहा जाता है. एक से अधिक विकल्प होने पर हम अपनी इच्छा व् मनोरंजन के हिसाब से इसका चुनाव कर सकते है.
कहने का अर्थ ये है कि मनोरंजन के साधनों में आज बहुत ज्यादा विकास हो चुका है और अनुमान है कि भविष्य में इस क्षेत्र में बहुत अधिक तरक्की होगी और हमारा मनोरंजन खूब होगा.
मनोरंजन के बिना जीवन नीरस सा हो जाता है, काम के प्रति लगन नहीं रहती. नया जोश, सोच बनाये रखने के लिए दिमाग को आराम देना बहुत जरुरी है, मन को प्रसन्न रखना जरुरी है, और ये सब मनोरंजन के द्वारा ही मुमकिन है. काम से थोड़ा आराम लेकर अपने मन को मनोरंजित करते रहना चाहिए.
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