शनिवार के दिन लोग अक्सर पीपल की पूजा करते हैं. शाम के समय पीपल (Peepal) के नीचे सरसों के तेल का दीपक रखते हैं. कहा जाता है कि शनिवार के दिन ऐसा करने से शनि (Shani) से जुड़े साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा के प्रभाव काफी कम हो जाते हैं और व्यक्ति को बहुत कष्ट नहीं झेलना पड़ता. आमतौर पर पीपल को दैवीय वृक्ष मानकर पूजा जाता है. कुछ लोग इस वृक्ष में श्रीहरि का निवास मानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनिदेव (Shanidev) का पीपल से ऐसा क्या संबन्ध है कि पीपल के नीचे दीपक रखने से शनिदेव को प्रसन्नता होती है ? इसके पीछे कुछ पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं, जानिए इन कथाओं के बारे में.
पहली कथा ऋषि पिप्पलाद से जुड़ी है. कथा के अनुसार के पिप्पलाद ऋषि का जन्म पीपल के नीचे हुआ था. उनके माता-पिता की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी. बड़े होने पर ऋषि को पता चला कि शनिदेव की दशा ने उनके माता पिता का वो हाल कर दिया था कि उनको मृत्यु का सामना करना पड़ा. पिप्पलाद ऋषि को ये सुनकर अत्यंत क्रोध आया और वो उसी पीपल के नीचे घोर तप करने के लिए बैठ गए. तप के पूर्ण होने के बाद ब्रह्मा जी प्रकट हुए और वर मांगने को कहा. तब पिप्पलाद ने ब्रह्मा जी से ब्रह्मदंड मांगा. उस समय शनिदेव पीपल में बैठे थे. ऋषि पिप्पलाद ने ब्रह्मदंड से शनिदेव के पैर में इतनी तेज प्रहार किया कि वे पीड़ा से महादेव को पुकारने लगे.
तब महादेव प्रकट हुए और पिप्पलाद से शांत होने का आग्रह किया और शनिदेव की पिप्पलाद ऋषि से रक्षा की. इसके बाद उन्होंने कहा कि आज के बाद शनि की किसी भी दशा से पीड़ित व्यक्ति अगर शनिवार को पीपल का पूजन करेगा, दीप दान करेगा, तो शनि उसके कष्ट दूर कर देंगे. इसके बाद से शनिवार के दिन पीपल को पूजा जाने लगा.
दूसरी कथा के अनुसार एक बार राक्षसों का आतंक इतना बढ़ गया कि उन्होंने स्वर्गलोक में अपना आधिपत्य कर लिया. उस समय राक्षस कोई यज्ञ या अनुष्ठान पूरा नहीं होने देते थे. कैटभ पीपल का रूप धारण करके यज्ञ को नष्ट कर देता था. कोई ब्राह्मण अगर यज्ञ के लिए समिधा लेने जाता तो पीपल बना कैटभ उसे खा जाता था.
ऋषियों को ये बात समझ नहीं आ रही थी कि आखिर समिधा लेने जाने वाले ब्राह्मण कुमार आखिर वापस क्यों नहीं लौटते. इस समस्या से परेशान ऋषियों ने शनिदेव का आवाह्न किया और उन्हें पूरी बात बताकर उनसे सहायता मांगी. शनिदेव ने उन्हें आश्वस्त किया और इस बात का पता लगाने के लिए शनिदेव ब्राह्मण रूप धारण करके पीपल के पास गए.
जैसे ही शनिदेव पीपल के पास पहुंचे तो कैटभ ने शनि महाराज को पकड़ने का प्रयास किया. तभी शनिदेव और कैटभ में भयंकर युद्ध होने लगा. इसके बाद शनिदेव ने कैटभ का वध कर दिया और फिर ऋषियों से कहा कि अब आप लोग बेखौफ होकर अपने काम करें. साथ ही हर शनिवार को पीपल का पूजन करें. पीपल का पूजन करने से शनि से जुड़े सभी कष्ट दूर होंगे.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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