सरकारी अधिकारियों के शब्दकोष से धर्मनिरपेक्षता शब्द गायब: हामिद अंसारी – प्रेस रिव्यू – BBC हिंदी

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द हिंदू की ख़बर के मुताबिक़, भारत के पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा है कि बुनियादी उसूलों में गिरावट आई है और सरकारी अधिकारियों के शब्दकोष से धर्मनिरपेक्षता शब्द 'लगभग ग़ायब' हो गया है.
हामिद अंसारी ने अपनी आत्मकथा 'बाय मेनी ए हैप्पी एक्सीडेंट' में लिखा है कि "बुनियादी उसूलों की इस गिरावट में अन्य सामाजिक और राजनीतिक ताक़तों की नाकामी शामिल है, जिन पर इस गिरावट को रोकने की ज़िम्मेदारी थी."
हामिद अंसारी का मानना है कि समावेशी संस्कृति, भाईचारा और वैज्ञानिक सोच जैसे संवैधानिक मूल्य भी राजनीतिक पटल से धीरे-धीरे ग़ायब होते जा रहे हैं और उनकी जगह विपरीत मान्यताओं को बढ़ावा दिया जा रहा है.
उप-राष्ट्रपति बनने से पहले भारतीय विदेश सेवा में रहे हामिद अंसारी का तर्क है कि विधि के शासन पर गंभीर ख़तरा मंडरा रहा है और इसके पीछे सरकारी प्रतिष्ठानों की कार्य-कुशलता में कमी और मनमाने तरीक़े से फ़ैसले करने जैसी वजहें ज़िम्मेदार हैं.
उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि लोकप्रियता की सफलता, किसी विचारधारा की सफलता नहीं बल्कि सत्ता हासिल करने और सत्ता में बने रहने की रणनीति है, फिर चाहे उसके लिए साज़िश करना पड़े, पूरे विपक्ष का अपराधीकरण करना पड़े और विदेशी ख़तरों का डर दिखाना पड़े.
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हामिद अंसारी का दावा है कि ये सब "साल 2019 के लोकसभा चुनाव में साबित" हो चुका है.
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महिला पुलिसकर्मियों के मामले में बिहार अव्वल
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि बिहार भारत का वो राज्य है जहां पुलिस बल में महिलाओं का प्रतिशत सबसे अधिक है.
ख़बर में कहा गया है कि बिहार में हर चार पुलिसकर्मियों में एक महिला पुलिसकर्मी शुमार है और ये दर भारत के तमाम राज्यों में सबसे अधिक है.
गुरुवार को जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 राज्यों की सूची में 25.3 प्रतिशत महिला पुलिसकर्मियों के साथ बिहार अव्वल स्थान पर है. इस मामले में दूसरे नंबर पर हिमाचल प्रदेश (19.2 प्रतिशत) जबकि तमिलनाडु (18.5 प्रतिशत) तीसरे स्थान पर है.
वहीं महिला पुलिस अधिकारियों की बात करें तो इस मामले में तमिलनाडु अव्वल है जहां सबसे अधिक 24.8 प्रतिशत महिला पुलिस अधिकारी हैं. महिला पुलिस अधिकारियों के मामले में 20.1 प्रतिशत के साथ मिज़ोरम दूसरे स्थान पर है.
रिपोर्ट में इस तथ्य की ओर भी ध्यान दिलाया गया है कि बिहार, उत्तराखंड, त्रिपुरा और मेघालय भारत के ऐसे राज्य हैं जहां हाईकोर्ट में एक भी महिला जज नहीं है. पुलिस, कारागार और न्यायपालिका में महिलाओं की संख्या कम है, लेकिन उनकी संख्या में मामूली इज़ाफ़ा हुआ है.
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हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के मुताबिक़, भ्रष्टाचार की अवधारणा से जुड़ी ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की 180 देशों की सूची में भारत 80वें स्थान से छह पायदान लुढककर 86वें स्थान पर आ गया है.
हालांकि इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान से कम भ्रष्टाचार है. ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल ने पाकिस्तान को 124वीं रैंकिंग दी है. इस सूची में नेपाल 117, बांग्लादेश 146 और श्रीलंका को 94वीं रैंकिंग दी गई है.
न्यूज़ीलैंड और डेनमार्क इस मामले में अव्वल हैं जहां ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल के मुताबिक़ भ्रष्टाचार बहुत कम है.
इसके बाद फिनलैंड, स्विट्ज़रलैंड, स्वीडन और सिंगापुर वो देश हैं जहां भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश है. इस सूची में सबसे भ्रष्ट देश के तौर पर सोमालिया और दक्षिण सूडान सबसे नीचे हैं.
शून्य से 100 अंकों वाले इस पैमाने में 0 का मतलब सबसे अधिक भ्रष्टाचार है, जबकि 100 अंक का मतलब है भ्रष्टाचार का नामो-निशान तक नहीं है.
इस हिसाब से ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल के मुताबिक़ कोई देश ऐसा नहीं है जहां ज़रा भी भ्रष्टाचार नहीं है, क्योंकि ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल ने किसी भी देश को 100 स्कोर नहीं दिया है.
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बजट सत्र के पहले दिन के लिए सरकार तैयार, विपक्ष भी
दैनिक जागरण की ख़बर में कहा गया है कि शुक्रवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के पहले ही दिन कृषि सुधार क़ानूनों के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच तलवारें खिंची दिखाई देंगी.
ख़बर में कहा गया है कि कांग्रेस की अगुआई में 16 विपक्षी दलों ने किसान आंदोलन के समर्थन में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का ऐलान किया है.
विपक्ष को एकजुट करने की इस पहल की कमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संभाली है.
हालांकि विपक्षी खेमे ने यह संकेत ज़रूर दिया है कि वो भले ही राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार कर रहे हैं, लेकिन दोनों सदनों की बैठक में शामिल होकर आक्रामक तरीके से सरकार की घेराबंदी करेंगे.
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टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के अनुसार, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और चीन के संबंधों को पटरी पर लाने के लिये आठ सिद्धांतों पर ज़ोर दिया है.
इनमें वास्तविक नियंत्रण रेखा के प्रबंधन पर सभी समझौतों का कड़ाई से पालन, आपसी सम्मान और संवेदनशीलता एवं एशिया की उभरती ताकतों के रूप में एक दूसरे की आकांक्षाओं को समझना शामिल है.
भारतीय विदेश मंत्री का दावा है कि पूर्वी लद्दाख में बीते साल की घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों पर गहरा असर डाला है. विदेश मंत्री का कहना है कि सीमा पर हालात को अनदेखा करके ये उम्मीद नहीं की जा सकती कि जीवन सामान्य रूप से चलेगा.
एस जयशंकर का कहना है कि हमें चीन के रुख में बदलाव और बॉर्डर इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती पर कोई भरोसेमंद स्पष्टीकरण नहीं मिला है.
चीन के साथ संबंधों पर भारतीय विदेशमंत्री का कहना है कि संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब वे आपसी सम्मान और संवेदनशीलता के साथ आपसी हित पर आधारित हों.
भारतीय विदेशमंत्री ने कहा, "हमारे सामने मुद्दा ये है कि चीन क्या संकेत देना चाहता है और भविष्य के संबंधों के लिए इसके क्या मायने हैं."
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