Women’s Day 2022 : महिलाओं का आभार प्रकट करने के लिए हर साल 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे एक कारण और है वह है महिलाओं का सम्मान। हम सभी को हर उस स्त्री का सम्मान करना चाहिए जो राष्ट्र, समाज और परिवार लिए समर्पित हैं। ऐसी महिलाओं के कई उदाहण हमें धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में मिलते हैं। आज के अंक में हम ऐसी ही एक नारी के शक्ति और सामर्थ्य का उल्लेख कर रहे हैं जिन्हें आदर से हम भारतीय सीता माता कहकर पुकारते हैं।
सीताजी के सतीत्व के आगे हारा रावण
आरंभ से लेकर अंत तक सीताजी की सभी बातें पवित्र और आर्दश हैं। माता सीता के सतीत्व के प्रभाव के कारण उनका अपहरण करने वाला असुर रावण भी उनका कुछ अहित नहीं कर पाया था। उनके सतीत्व के प्रभाव के कारण रावण उन्हें अशोक वाटिका में बंदी बनाने के बाद भी कभी उनके समीप जाने का साहस नहीं कर पाया। जब लंकापति रावण सीताजी के सामने शादी का प्रस्ताव लेकर पहुंचा तो देवी सीता ने लंका के विनाश की बात कही थी। उन्होंने अपने हाथों में एक तिनका लेकर रावण को भयभीत कर दिया था।
देवी अनुसुइया जिनके आगे त्रिदेवों ने मानी हार, जानें
मातृत्व की मिसाल देवी सीतासीताजी को जगत माता कहा जाता है और कहें भी तो क्यों न उन्होंने अयोध्या से निकाले जाने के बाद भी अपना धैर्य और साहस कम नहीं होने दिया। इन्होंने महर्षि बाल्मिकि के आश्रम में रहकर अपने दोनों पुत्रों लव और कुश को जन्म दिया। वन में साधन की कमी के बावजूद इन्होंने अपने पुत्रों में संस्कार और विद्या प्रदान किया। अकेले अपने दम पर इन्होंने अपने पुत्रों को ऐसा बनाया कि एक समय दोनों बालकों ने पूरी अयोध्या की सेना को पराजित कर दिया था।
देवी सीता का बल और पराक्रम
रामायण में देवी सीता के बचपन की कथा मिलती है कि इन्होंने बाल्यावस्था में ही भगवान शिव के धनुष को एक हाथ से उठा लिया था। यह वही धनुष था जिसे उठाने देवी सीता के स्वयंवर में बड़े-बड़े सूरमा और पराक्रमी पहुंचे थे। लेकिन भगवान राम के अलावा कोई उसे टस से मस तक नहीं कर पाया था।
देवी सीता का त्याग और धर्म
देवी सीता ने मानव इतिहास में त्याग और धर्म की वह मिसाल कायम की है कि युगों युगों तक इनका बखान लोग करते रहेंगे। इन्होंने पत्नी धर्म को निभाने के लिए राजसी सुखों का त्याग करके वन-वन भटकना स्वीकार किया। देवी सीता के अपने सत्य धर्म का ऐसा पालन किया कि इनके एक बुलावे पर धरती माता स्वयं प्रकट हो गईं और इन्हें अपने साथ सशरीर मृत्युलोक से लेकर चली गईं। इतिहास में देवी सीता के अलावा ऐसा त्याग धर्म किसी का नहीं दिखता है।
अगले अंक में लेकर आएंगे एक और ऐसी ही प्रभावशाली महिला की कहानी जिसे युगों तक याद करेंगे लोग।
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