गोरेयाकोठी प्रखंड के हरिहरपुर कला गांव में चल रहे श्रीराम भक्त हनुमत महायज्ञ के पांचवें दिन काफी संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना को लेकर पहुंचे। यहां पर यज्ञ मंडल में परिक्रमा के लिए श्रद्धालु महिला, पुरुष तथा बच्चे परिक्रमा में भाग ले रहे हैं। इसके साथ ही मंदिर परिसर में मेला भी लगा है। जहां पर आकर्षण झूला व मीना बाजार आया हुआ है। प्रवचन कर्ता प्रियंका द्विवेदी ने बताया कि यज्ञ से विश्व का कल्याण होता है। इसलिए समय-समय पर कल्याण के लिए महायज्ञ जरूरी है। यज्ञ मंडप में आचार्यों द्वारा पूजा अर्चना, हवन आदि का संचालन किया जा रहा है। वहीं श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए कमेटी के सदस्य पूरी तरह मुस्तैद थे। प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा कि यज्ञ के माध्यम से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने रामजी की बाल लीलाओं पर चर्चा करते हुए जनकपुर प्रवेश पर प्रवचन प्रस्तुत किया। वे सुंदर भाव से बताया कि भगवान श्रीराम ऋषि विश्वामित्र के साथ राजा जनक के राज जनकपुर पहुंचते हैं, जहां माता सीता का स्वयंवर रखा जाता है। महाराज जनक विश्वामित्र जी का सम्मान कर उन्हें रात्रि विश्राम करने अपने महल में रुकवाते हैं। उनके साथ भगवानश्री राम व लक्ष्मण भी उपस्थित रहते हैं। सुबह जब विश्वामित्र जी का पूजन के लिए फूल तोड़ने महाराज जनक के बगीचा में भगवान पहुंचते हैं, तभी माता सीता भी बगिया में आ जाती हैं। जैसे ही उनकी नजर भगवान श्री राम के सुंदर स्वरूप पर पड़ती है तो वह उन्हें छुप कर देखती हैं। तब उनकी सखियां उन्हें बताती हैं कि यह अयोध्या के युवराज श्रीराम हैं, तब सीता माता राम के हाथों से पुष्प तोड़ता हुआ देख चिंतित हो जाती है कि कहीं राम के हाथों में फूल तोड़ते समय छाले ना पड़ जाएं। उसी दिन राजा जनक के दरबार में माता सीता का स्वयंवर आयोजित किया जाता है।
धनुष न उठता देख राजा जनक के माथे पर पड़ गया था बल
स्वयंवर में पृथ्वी के सभी महाबली राजकुमार उपस्थित होते हैं परंतु भगवान शंकर का वह धनुष कोई भी उठाने में असमर्थ हो जाता है।ऐसा देख राजा जनक बड़े दुखी होते हैं और कहते हैं कि क्या यह पृथ्वी महावीरा से विहीन हो गई है जो भगवान शिव का धनुष कोई उठा नहीं पा रहा है। इसको माता सीता अपने एक हाथ से उठाकर दूसरी जगह है, हमेशा रखती रहती हैं, उसे कोई महाबली नहीं उठा पा रहा है। अंत में ऋषि विश्वामित्र महाराज जनक से कहते हैं कि अभी इस पृथ्वी पर जब तक श्रीराम हैं ऐसी बातें आप नहीं कर सकते। फिर विश्वामित्र की आज्ञा से दशरथ पुत्र श्री राम जाते हैं और भगवान शिव का धनुष उठाते हैं। ऐसे भगवान श्री राम के अनेक व्याख्यान वक्ता द्वारा प्रवचन में दिए गए। मौके पर सरपंच मुसाफिर महतो, श्रीनिवास प्रसाद, अशोक पंडित, सुरेंद्र पंडित, लालू यादव, मनोज प्रसाद, सुभाष प्रसाद, दरोगा प्रसाद यादव, हंसनाथ यादव मौजूद रहे।
जन्म चाहे कभी हो, पर मनुष्य कर्म से बनाता है अपना भाग्य : सत्यम पीठाधीश्वर
दरौंदा | रुकुंदीपुर दर्शनानंद मठ परिसर में आयोजित श्री श्री रुद्र महायज्ञ एवं श्रीमद् बाल्मीकि रामायण कथा महायज्ञ में वृंदावन से आए कथा वाचक सत्यम पीठाधीश्वर जी महाराज ने कृष्ण जन्म उत्सव की कथा सुनाई। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि शरीर रूपी मथुरा में जब हृदय रूपी गोकुल में भगवान का प्रगति करण होता है तो परमानंद की प्राप्ति होती हैं। कथावाचक ने कहा कि जन्म चाहे कभी भी हो वह कर्म से अपने भाग्य का निर्माण कर लेता है। भागवत कथा में श्री महाराज ने कहा की कृष्ण का मतलब वही होता है सबों को आकर्षित करने वाला। करसयती इति कृष्णा और कहां की संध्या समय भगवान की आराधना व ध्यान भजन से मनुष्य को आध्यात्मिक शांति मिलती है। कथा के दौरान भक्ति भजन से प्रस्तुति से श्रद्धालु कथा स्थल पर झूमते नजर आए। कार्यक्रम में जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी की जयघोष से वातावरण गूंज उठा। वृंदावन से आए कथावाचक श्री महाराज ने श्रीकृष्ण के जन्म से उनकी बाल लीला का बखान किया गया। कहा कि कृष्ण हमेशा संसार के सुख-दुख के साथ हैं। गोवर्द्धन लीला से लेकर अन्य प्रसंगों पर भी चर्चा की गई। मौके पर प्रखंड प्रमुख विनय सिंह, बीडीसी सदस्य पप्पू राम,बुलू सिंह, बंटी सिंह, रितेश सिंह, सुरेंद्र सिंह,दिनदयाल सिंह, शिवम् सिंह ,योगेन्द्र सिंह,डिपलु सिंह, विकास सिंह, विनय पाण्डेय,सुधीर पाण्डेय,बबलु श्रीवास्तव,शुभम सिंह, शुक्ल ज़ी ,रौशन कुमार, विकेश कुमार,रंजु देवी, निर्मला देवी, मुनि देवी, अनुष्का कुमारी, पुतुल देवी,रिता देवी आदि मौजूद रहे। जबकि यह महायज्ञ 29 मार्च तक चलेगा।
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