शुभ भाव प्रकट हो रहे है इसके पीछे जिनशासन जो हमें मिला है, वही है, किंतु विवेक दशा नहीं आने से हमें मोक्ष मार्ग उपलब्ध नहीं हो पा रहा है आवश्यकता है मानव धर्म और आत्म धर्म को समझने की। हम जो संसार में रहकर कार्य कर रहे है, स्वजन और परिवार के प्रति यह सभी मानव धर्म के पालन में आता है और जो धर्म हमें आत्मा की और अभिमुख करे वह आत्म धर्म की श्रेणी में आता है। हमने हमारे जीवन का बहुमूल्य समय मानव धर्म पालन में व्यतीत कर दिया है, और पहले भी कई भव में इसी धर्म का पालन करते हुए आए है। जिससे जीव का भला न आज तक हुआ है न होगा।
उपरोक्त प्रेरक उद्बोधन आचार्य नित्यसेन सूरीश्वरजी एवं साधु साध्वी मंडल की निश्रा में चल रहे आत्मानंदी चातुर्मास अंतर्गत मुनि निपुण रत्न विजयजी ने बावन जिनालय स्थित श्री राजेंद्र सूरी पौषध शाला में सोमवार को योग सार ग्रंथ के माध्यम से धर्म सभा में व्यक्त किए। आपने कहा कि यदि आत्म धर्म की पहचान हो जाए तो जीवन में मानव धर्म के प्रति रुचि स्वतः ही कम हो जाएगी। ज्ञानियों ने आत्म धर्म को अनुपम तीर्थ की संज्ञा दी है। इसकी चिंता करने की आवश्यकता है यह हमारे स्वयं में अंदर ही स्थित है इसे मनोहर, यानी मन का हरण करने वाला, की संज्ञा भी दी गई है।
जो ज्ञान आप में संवेदन और अनुभव का विषय बन जाए वह आपको अविराम सुख दे सकता है। संसार का सुख कभी भी अविराम सुख नहीं है। आपने जिन वचनों पर श्रद्धा रखने पर जोर देते हुए कहा कि परमात्मा निश्चय आज्ञा पालन जिसमें राग द्वेष न होना, चित्त प्रसन्न होना, ज्ञान दर्शन चारित्र तप की आराधना करना आदि को लक्ष्य में रखते है। तो यह प्रभु के प्रति भाव स्तवना हो सकती है। जो मोक्ष की और अग्रसर होने में सहायक होती है।
भाव स्तवना तक पहुंचने के लिए द्रव्य स्तवना जिसमें प्रभु की विशिष्ट द्रव्यों से पूजन, भक्ति आदि करने का मार्ग बताया है। प्रभु द्रव्य पूजन भक्ति के प्रभाव से सब कुछ प्राप्त हो जाता है। जैसे चिंतामणि रत्न कुछ भी देता नहीं है किंतु उसके प्रभाव से सब कुछ प्राप्त हो जाता है। प्रभु भक्ति अशुभ कर्म का नाश होता है शुभ कर्म उदय में आते है, और सब कुछ प्राप्त होने लग जाता है।
वैसे यदि समर्थता है तो हमें भाव स्तवना ही करना चाहिए और जो समर्थ नहीं है उन्हें ज्यादा से ज्यादा भाव स्तवना करने वालो की भक्ति करना चाहिए। आचार्य की निश्रा में 55 तपस्वी पंच परमेष्ठी आराधना एकासण तप से कर रहे है। लाभार्थी विमल, विपुल, वीनस, कटारिया परिवार है। संचालन डाॅ. प्रदीप संघवी ने और आभार मुकेश जैन और मनोहर भंडारी ने माना।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.
Author Profile

Latest entries
लाइफस्टाइल2023.02.08इम्युनिटी, पेट की समस्या… इन बीमारियों का 'काट' हैं सप्लीमेंट्स, जानें इन्हें – ABP न्यूज़
धर्म2023.02.08जगदानंद सिंह की राम मंदिर वाली टिप्पणी पर BJP का पलटवार हिंदू आस्था का अपमान करने का आरोप लगाया.. – दैनिक जागरण (Dainik Jagran)
विश्व2023.02.08एक क्लिक में पढ़ें 10 नवंबर, गुरुवार की अहम खबरें – Aaj Tak
राशीफल2023.02.08Horoscope Today 7 September 2022 Aaj Ka Rashifal आज का राशिफल 7 सितंबर 2022 : शनि और चंद्रमा का संयोग, मेष और मिथुन सहित इन राशियों को मिलेगा फायदा – NBT नवभारत टाइम्स (Navbharat Times)