योग को बनाएं जीवन शैली का हिस्सा……विश्व हिन्दू परिषद
कपूरथला(राजेश तलवाड़)अगर हम बचपन से ही अपनी जीवन शैली में योग को शामिल कर लें तो कई तरह के रोगों से बचाव हो सकता है।योग न केवल हमारे शरीर को बल्कि मन और आत्मा को भी पुष्ट करबल को और संतुष्टि प्रदान करता है.
।स्त्री-पुरुष,बच्चे,युवा और वृद्ध सभी के लिए लाभप्रद है।यह बात मंगलवार को पतंजलि योग समिति व भारत स्वाभिमान द्वारा स्टेट गुरुद्वारा में
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में दीप प्रजलित करते हुए बजरंग दल के पूर्व प्रदेश प्रधान नरेश पंडित ने कही।इस अवसर पर पतंजलि योग समिति की महिला राज्य संवाद प्रभारी परवीन चोकारिया ने उपस्थित लोगों को यौगिक क्रियाओं का अभ्यास कराया व शरीर पर होने वाले प्रभाव की जानकारी दी।इस अवसर परवीन चोकारिया ने’ओम’उच्चारण का प्रायोगिक महत्व बताते हुए कहा कि अ’से आचरण,उ’से उच्चारण वम’से मन के विचार इन तीनों के संतुलन से शरीर व मन स्वस्थ रहता है।आज इंसान सोचता कुछ है,बोलता कुछ है और करता कुछ है।यही तनाव,चिंता और असंतोष का कारण है।इससे हृदय रोग,उच्च रक्तचाप, मधुमेह,गठिया जैसी बीमारिया होती हैं।उन्होंने योग का अर्थ बताते हुए कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य के हिसाब से मन व शरीर के संतुलित जोड़ व अध्यात्म के हिसाब से मन व आत्मा का परमात्मा से जुड़ाव कराता है।इस तरह शरीर-आत्मा-परमात्मा के बीच मन मध्यस्थ का काम करता है।मन के स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा भोजन सकारात्मक सोच और अच्छा विचार है।इस अवसर पर नरेश पंडित ने योग को धर्म से जोडऩे वालों पर कटाक्ष किया।कहा कि योग को धर्म से जोडऩे वाले वास्तव में धर्म का अर्थ ही नहीं जानते हैं।अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद जिला मंत्री राजू सूद,जिला प्रधान नारयण दास,जिला उपप्रधान जोगिन्दर तलवाड़,अनिल वालिया व बजरंग दल के जिला उपप्रधान आनद यादव ने योग को सभी के स्वस्थ जीवन के लिए अनिवार्य बताया और इस पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत की परंपरा के योग को आज समूची दुनिया स्वीकार तथा अंगीकार कर रही है।उपरोक्त नेताओ ने कहा कि योग सभी की निरोग काया,निर्मल मन और शांत बुद्धि के लिए उपयोगी है।हमारी ऋषि परंपरा ने जिस चीज को हजारों वर्ष पूर्व साबित किया।आज पूरी दुनिया उसे स्वीकार कर रही है।संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा घोषित अंतराष्ट्रीय योग दिवस इसका सबूत है।उपरोक्त नेताओ ने कहा कि कुछ लोग आदतन हर चीज में गलती खोजते हैं।जिस योग की महत्ता को दुनिया के करीब दो सौ देश स्वीकार रहे हैं,उसे लेकर आपत्ति क्यों योग को धर्म से जोडऩे वाले धर्म का अर्थ भी नहीं जानते।धर्म का मूल अर्थ फर्ज है।अब अगर इसको भी कोई न समझना चाहे तो इनकी बातों की अनदेखी करो।यह भी एक तरह का योग ही है।उपरोक्त नेताओ ने कहा कि योग जोडऩे की एक प्रक्रिया है।इस बार विश्व के अनेक देशों में योग दिवस पर कार्यक्रम हो रहे हैं।योग समाज से समाज को जोड़ता है।हमारे देश में पुरातन समय से ही इस विधा को पहचान दी।हमारे देश की चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को अभी तक 151 देशों ने माना है।आगे भी इसको अपनाने की होड़ लगी है।
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