भास्कर इंडेप्थ: कभी समुद्री लुटेरों के गढ़ थे, अब तरक्की में रूस-अमेरिका से भी आगे; जानिए नॉर्डिक देशों की … – Dainik Bhaskar

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अब नॉर्डिक समूह के 2 देश फिनलैंड और स्वीडन ने NATO में शामिल होने के लिए आवेदन दे दिया है। इस समूह के बाकी 3 देश (डेनमार्क, नार्वे और आइसलैंड) पहले से ही NATO का हिस्सा हैं। फिनलैंड और स्वीडन के NATO में शामिल होने वाले बयान के बाद रूस बौखला गया है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन फिनलैंड को पहले ही परमाणु हमले की चेतावनी दे चुके हैं। इन खबरों के बीच नॉर्डिक सूमह के देश एक बार फिर चर्चा में हैं।
भास्कर इंडेप्थ में आज हम दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में शुमार इन देशों के बारे में जानेंगे। कभी समुद्रों लुटेरों के देश होने के बावजूद आज ये विकास की मिसाल कैसे बने? आखिर में नॉर्डिक देशों के मार्वल फिल्मों से कनेक्शन का भी पता चलेगा…
नॉर्डिक समूह में शामिल हैं पांच देश
नॉर्डिक शब्द का मतलब होता है नॉर्दर्न, यानी उत्तर में स्थित। नॉर्डिक समूह उत्तरी यूरोप के पांच देशों से मिलकर बना है। इनमें डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड, नॉर्वे और आइसलैंड शामिल हैं। वर्ल्ड हैप्पिनेस इंडेक्स 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, फिनलैंड दुनिया का सबसे खुशहाल देश है, वहीं दूसरे नंबर पर डेनमार्क और तीसरे पर आइसलैंड आता है। अब सवाल उठता है कि आखिर कौन-सी चीज है, जो यहां के लोगों की जिंदगी को खुशहाल बनाती है।
नॉर्डिक देश यानी फिकर नॉट
दुनिया के ज्यादातर देशों में आम लोगों की सबसे बड़ी समस्या महंगी शिक्षा, महंगा इलाज, और रोज महंगी होती खान-पान की चीजे हैं। उधर, फिनलैंड जैसे नॉर्डिक क्षेत्र के देशों में सिस्टम काफी अलग है। यहां शिक्षा, हेल्थकेयर जैसी चीजें लोगों के लिए सरकार की ओर से या तो एकदम फ्री हैं या फिर बिल्कुल ही कम कीमतों पर उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके अलावा सुरक्षा के बेहतर इंतजाम, मानवाधिकार की बेहतर निगरानी, अच्छी सैलरी, कम करप्शन जैसी चीजें सुनिश्चित की जाती हैं। फिनलैंड की 90 फीसदी से अधिक आबादी की जिंदगी हर नजरिए से संतुलित मानी जाती है।
अब आगे बढ़ते हैं नॉर्डिक देशों की सबसे रोचक कहानी की तरफ। वो है इसका इतिहास…
समुद्री लुटेरों से प्रगतिशील सिस्टम तक
इतिहास में इन देशों में रहने वाले लोगों को वाइकिंग्स के नाम से जाना जाता था। 8वीं से 11वीं सदी के बीच वाइकिंग्स की इमेज खतरनाक लुटेरों की थी। अच्छे जीवन की तलाश में वाइकिंग्स ने लंबे समुद्री जहाज बनाए और दूर-दूर तक यात्राएं कीं। ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और यूक्रेन जैसे देशों में बस गए। वाइकिंग्स ने आइसलैंड और ग्रीनलैंड जैसे नए टापुओं की खोज की और उन्हें बसाया। वाइकिंग्स ने कोलंबस से करीब 500 साल पहले ही उत्तर अमेरिका में दस्तक दे दी थी। वाइकिंग्स ने नॉर्डिक क्षेत्रों की तरक्की में अहम भूमिका निभाई है।
ईसाई धर्म की शुरुआत के साथ नॉर्डिक क्षेत्र यूरोपीय देशों के करीब आ गया। ईसाई धर्म के साथ ही नॉर्डिक देशों में धार्मिक कल्चर की शुरुआत हुई। क्षेत्र के कई देशों में कैथीड्रल बनाए गए। मध्य युग में नॉर्डिक क्षेत्र की पहचान एक सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से मजबूत क्षेत्र के तौर पर होने लगी। 1397 में डेनमार्क, नॉर्वे और स्वीडन ने साथ आकर काल्मार संघ बनाया। इसी के साथ नॉर्डिक साम्राज्य की नींव पड़ी। हालांकि, आपसी कलह की वजह से धीरे-धीरे ये संघ टूट गया और 1520 में डेनमार्क के राजा क्रिश्चियन 2 ने स्वीडन पर कब्जा करने के लिए वहां के कई लोगों की हत्या कर दी।
कोलोनियल युग की शुरुआत के साथ नॉर्डिक देश बाकी यूरोपीय देशों से पिछड़ने लगे। हालांकि, इस दौरान स्वीडन ने बाल्टिक देशों में अपनी कॉलोनी बना ली। 18वीं सदी के अंत तक नॉर्डिक देशों ने एक दूसरे पर कब्जा करने के लिए कई युद्ध लड़े। 1814 में स्वीडन ने नॉर्वे पर कब्जा कर लिया, वहीं रूस ने फिनलैंड पर हुकूमत स्थापित की। दूसरी तरफ डेनमार्क ने आइसलैंड पर कंट्रोल कर लिया।
इंडस्ट्रियलाइजेशन के साथ नॉर्डिक देशों को एक नई शुरुआत का मौका मिला। नॉर्वे, फिनलैंड और आइसलैंड जैसे देशों में आजादी की मांग तेज होने लगी। 1905 में नॉर्वे, 1917 में फिनलैंड और 1918 में आइसलैंड आजाद हो गया। हालांकि, इसके बाद 1940 में सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान स्वीडन को छोड़ बाकी सभी देशों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। विश्व युद्ध खत्म होने के बाद 1949 में नॉर्वे, डेनमार्क और आइसलैंड NATO में शामिल हो गए। इस दौरान नॉर्डिक देश एक कल्चर के चलते धीरे-धीरे साथ आने लगे। 1952 में इन देशों ने मिलकर नॉर्डिक काउंसिल बनाई।
अब जानते हैं वाइकिंग कल्चर की वो बातें जिसने नॉर्डिक देशों के कल्चर को ढाला और आज वो एक मिसाल बन चुका है…
अब जानते हैं कि दिनों के नाम से नॉर्डिक देशों के इतिहास का क्या ताल्लुक है…
हमारे हफ्ते के 7 दिनों के नाम के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है। बेबीलोनियाई कैलेंडर के मुताबिक दिनों के नाम 5 ग्रहों (बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि), सूरज और चांद के नाम पर रखे गए। रोमन नागरिक कई सदियों तक 1 हफ्ते में 8 दिन मानते थे, लेकिन 321 C.E. में राजा कॉन्सटेंटाइन ने 7 दिवसीय रोमन कैलेंडर की शुरुआत की। साथ ही रविवार या सन-डे को हफ्ते का पहला दिन घोषित किया गया। इसके बाद बाकी दिनों के नाम मून्स-डे, मार्स-डे, मरकरी-डे, जुपिटर्स-डे, वीनस-डे और सैटर्न्स-डे रखे गए।
नॉर्डिक कल्चर से कैसे जुड़े ये नाम?
बेबीलोनियाई कैलेंडर धीरे-धीरे रोमन, जर्मन जैसे दूसरे कल्चर में भी अपनाया जाने लगा। नॉर्डिक देशों में पहुंचने पर लोगों ने इसे अपने भगवानों के नाम से जोड़कर पुराने नामों में कुछ बदलाव कर दिया। वाइकिंग्स ने इन दिनों के नाम कुछ इस तरह रखे…
वाइकिंग्स के इन भगवानों के नाम जानकर सबसे पहला ख्याल मार्वल फिल्मों और कॉमिक्स का ही आता है जहां ओडिन, थॉर, फ्रेया काफी चर्चित कैरेक्टर्स हैं। तो अब जानते हैं कि वाइकिंग गॉड्स मार्वल यूनिवर्स का हिस्सा कैसे बने…
मार्वल की दुनिया को अस्तित्व में लाने वाले मशहूर कॉमिक बुक राइटर स्टेन ली के मुताबिक उन्होंने नॉर्स गॉड्स को अपनी कॉमिक के लिए इसलिए चुना क्योंकि आमतौर पर लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं। अपनी कॉमिक्स में बतौर कैरेक्टर इन्हें इस्तेमाल करके ली ने लोगों को इनके बारे में बताया। इससे ली को और क्रिएटिव होने का अवसर मिला, क्योंकि लोगों को नॉर्स गॉड्स की कहानी नहीं पता थी।
स्टेन ली ने अपनी कॉमिक्स में वाइकिंग्स के कई गॉड्स को शामिल किया जैसे- थॉर, ओडिन, लोकी, हेला, फ्रिग, टिर, फेनरिर, वैलकरी। हालांकि, इनके कैरेक्टर और रोल को मार्वल कॉमिक्स में थोड़ा बदल दिया गया। यहां हम आपको नॉर्स गॉड्स और मार्वल में उनके कैरेक्टर के बारे में बता रहे हैं…
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