फसलों की कटाई में रीपर और हार्वेस्टर का इस्तेमाल – Nai Dunia

बरबसपुर (नईदुनिया न्यूज)। कृषि क्षेत्र में नीत नए परिवर्तनों से खेती का तरीका ही बदल गया है। इसके चलते किसान की दिनचर्या भी बदल गई है। पहले खेत में फसल बोने से लेकर काटने तक व्यस्त रहने वाला किसान अब फुर्सत में रहने लगा है। फुर्सत के क्षण पिछले 10-15 सालों से लगातार बढ़ रहें हैं, लेकिन इसके दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं। पहले जब कृषि बैलों पर आधारित थी। तब किसान खेती का काम अपने हाथों से ही करते थे। इससे निपटने के बाद अगली फसल की तैयारी के लिए खेतों की साफ-सफाई, मेड़ बांधने का काम भी करते थे। इससे हर वर्ष खेती बेहतर होती रहती थी और आधुनिक साधनों व किटनाशक का प्रयोग नहीं होने से धरती उपजाऊ बनी रहती थी। अब साल दर साल खेती सबल के बजाय जर्जर होते जा रहीं हैं। फसल काटने के बाद किसान अपने खेत की ओर तक तक नहीं झांकता, जब तक उसे अगली फसल की तैयारी न करनी हो। कटाई से लेकर मिसाई कार्य में परंपरागत तरीकों के बजाय धान काटने का रीपर, हार्वेस्टर मशीनों का उपयोग हो रहा है।

पहले पूरा परिवार खेती में भागीदारी निभाता था। अब गांव में मवेशियों की वह रुनझुन न तो सुनाई देती है और न घर में जानवर की मौजूदगी हैं, जिस नाम से विवाह के फेरों का समय गोधूलि बेला के नाम से नामकरण किया गया। अब न गाय धूल उड़ाती सांझ के समय घर लौटती दिखाई देती है। कारण ये रहा कि लोग घर में मवेशी बांधने नहीं लगे हैं अब चरागाह धीरे-धीरे सिमट गए व खेती किसानी के कामों में आधुनिक यंत्रों का चलन बढ़ा तो मवेशी चरने की समस्या बढ़ गई। परंपरागत कृषि करने वाले लोग मवेशी रखना बंद करने लगे।

कम नजर आने लगी बैलगाड़ी
बैलगाड़ी बैलों से खींची जाने वाली गाड़ी हैं। यह सबसे पुराना यातायात का साधन और समान ढोने का साधन है। इसकी डिजाइन बहुत सरल होती है। परंपरागत रूप से स्थानीय संसाधनों से स्थानीय कारीगर इसे बनाते हैं। हालांकि इसकी बनावट अलग-अलग हो सकती है, लेकिन कृषि पर आधारित आधुनिक यंत्र की चलन बढ़ने से बैलगाड़ी के पहिए धीरे-धीरे सिमट गए हैं। हालांकि कहीं-कहीं ही परंपरागत साधन नजर आते हैं।
Posted By: Nai Dunia News Network
Copyright © 2022 Naidunia.
वैक्सीनेशन: 2,09,40,48,140
संक्रमित:1,01,987
मृत:5,26,618

source


Article Categories:
मनोरंजन
Likes:
0

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *