श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर सत्यनारयण मंदिर कमेटी की और से निकाली गई प्रभातफेरी का विहिप व बजरंग दल ने फूलो की वर्षा कर किया ज़ोरदार सवागत
कपूरथला( बॉबी शर्मा)हैरिटेज शहर कपूरथला में श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर सत्यनारयण मंदिर कमेटी की और से गुरुवार को सुबह प्रभातफेरी निकाली गई।जिसमें सैकडों श्रद्धालु व शहर निवासी शामिल हुए।हिंदुओ के पवित्र त्योहार श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर सत्यनारयण मंदिर से सुबह 5 बजे शहर के शहीद भगत सिंह चौंक,सदर बाजार,मच्छी चौंक,जलौखाना चौंक,शालीमार बाग़ से होते हुए शहर वाली गौशाला पहुंची,जहां विश्व हिन्दू परिषद व बजरंग दल के अनेको नेताओ ने फूलो की वर्षा कर ज़ोरदार सवागत किया।इस प्रभात फेरी में सैकड़ों की संख्या में महिलाओं,बच्चों सहित श्रद्धालुओं ने शामिल होकर प्रभात फेरी की शोभा बढ़ाई गई।शहर की विभिन्न धार्मिक समाजिक संगठनों द्वारा प्रभात फेरी का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया व श्रद्धालुओं को विभिन्न प्रकार की स्टाल लगाकर प्रसाद बांटा गया।इस अवसर पर नंद के आंनद भयो जै कन्हैया लाल की,
नंद के आनंद भयो जै कन्हैया लाल की,हाथी घोड़ा पालकी जै कन्हैया लाल की के जैकारों व श्री कृष्ण जी के गुणगान से हैरिटेज शहर कपूरथला शहर वृंदावन नगरी बन गया।इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद जालंधर विभाग के प्रधान नरेश पंडित ने कहा कि जिस तरह से सत्यनारयण मंदिर कमेटी के लोग हर धार्मिक कर्यक्रम और त्योहार धूमधाम से मनाते है,यह अपने आम में एक मिसाल है।हमारे त्योहार ही हमारी धार्मिक सांस्कृतिक धरोहर है और इन्हें हम सभी को समेटकर रखना है।उन्होंने बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु श्री कृष्ण ने जनकल्याण के लिए द्वापर युग में अवतार लिया।प्रभु जब कई कार्य एक साथ करते हैं तो वह लीला कहलाती है।प्रभु द्वारा की गई प्रत्येक लीला में आध्यात्मिक रहस्य छिपे होते हैं लेकिन समय के गर्त में वह धूमिल हो जाते हैं।इस कारण मनुष्य सत्य के मार्ग से भटक जाता है।समय-समय पर संत महापुरूष इन रहस्यों को उजागर करते हैं।प्रभु जब-जब इस धरती पर आकर लीला करते हैं साधारण मानव उन लीलाओं को समझ नहीं पाते।प्रभु को तत्व से जाने के बाद ही लीलाओं का समझा जा सकता है।भगवान श्री कृष्ण ने मैया यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन करवाए हैं।ज्ञान के द्वारा ही इस भेद को जाना जा सकता है।नरेश पंडित ने कहा की भगवान श्रीकृष्ण हमारी संस्कृति के एक अद्भुत एवं विलक्षण महानायक हैं।एक ऐसा व्यक्तित्व जिसकी तुलना न किसी अवतार से की जा सकती है और न संसार के किसी महापुरुष से।उनके जीवन की प्रत्येक लीला में,प्रत्येक घटना में एक ऐसा विरोधाभास दीखता है जो साधारणतःसमझ में नहीं आता है।यही उनके जीवन चरित की विलक्षणता है और यही उनका विलक्षणःजीवन दर्शन भी है।नरेश पंडित ने कहा की भगवान राम का जन्म धरती पर दुष्टों के संहार एवं धर्म की रक्षा के लिए हुआ था।जब-जब धरती पर अधर्म बढ़ा है परमात्मा ने धर्म की रक्षा और पापियों के संहार के लिए अवतार लिया है।भगवान कृष्ण का जन्म भी कंस जैसे पापी के नाश के लिए हुआ था।उन्होंने कहाकि भगवान को सिर पर रखने से माया के बंधनों से मुक्ति मिल जाती है।देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान कृष्ण ने जन्म लिया।वासुदेव ने भगवान को एक टोकरी में रखकर सिर पर रख लिया, सिर पर भगवान को रखते ही वासुदेव के सारे बंधन छूट गए।पंडित ने आगे कहा कि कंस ने देवकी वासुदेव की शादी धूमधाम से की।विदा के समय कंस को एक आकाशवाणी में ज्ञात हुआ कि देवकी वासुदेव की आठवीं संतान उसकी मौत का कारण बनेगी।आकाशवाणी को सुनते ही कंस ने देवकी वासुदेव को कारागार में डाल दिया।यहा एक-एक कर कंस ने देवकी वासुदेव की छह संतानों को मार दिया।सातवीं संतान के रूप में बलराम ने जन्म लिया।आठवीं संतान के रूप में जैसे ही कृष्ण ने जन्म लिया कारागार के सभी कैदी सो गए।उन्होंने कहा कि जिसको भगवान से प्रेम नहीं होता वह भगवान के आते ही सो जाता है।माया के पीछे भागने वाला सांसारिक जीवन में खोया रहता है।उन्होंने कहा कि माया नहीं मायापति के पीछे भागो भगवान कल्याण करेंगे।इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद जिला प्रधान नारयण दास,जिला उपप्रधान ओमप्रकाश कटारिया,बजरंग दल के जिला प्रभारी बावा पंडित,आनंद यादव,मोहोत जस्सल,अनिल वालिया आदि उपस्थित थे।
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