Chhath Puja Importance: बिहार में प्रसिद्ध है छठ पूजा का महापर्व, जानें इसकी पौराणिक कथा – Zee News Hindi

Chhath Puja Importance: छठ के त्योहार में घर की माताएं व्रत रखती हैं. यह घर की सुख शांति, समृद्धि के साथ-साथ अपनी मनवांछित फल के लिए भी छठ का त्योहार मनाया जाता है. छठ पूजा का एक अलग महत्व है.
Trending Photos
Chhath Puja Importance: बिहार में छठ पूजा का बहुत महत्व है. बिहार में छठ पूजा एक महापर्व है. यह चार दिनों का त्योहार होता है. इस त्योहार में उगते हुए और डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. छठ का त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है. पहली बार यह चैत्र में मनाया जाता है और दूसरी बार कार्तिक में. चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाए जाने वाली छठ को चैती छठ कहा जाता है. वहीं, कार्तिक शुक्ल पक्ष को मनाए जाने वाले छठ के त्योहार को कार्तिक छठ कहा जाता है. हालांकि कार्तिक छठ का विशेष महत्व होता है. छठ के त्योहार में घर की माताएं व्रत रखती हैं. यह घर की सुख शांति, समृद्धि के साथ-साथ अपनी मनवांछित फल के लिए भी छठ का त्योहार मनाया जाता है. छठ पूजा का एक अलग महत्व है. आइये जानते हैं छठ पूजा का महत्व और इसके पीछे का इतिहास कि इसकी शुरुआत कैसे हुई थी.

माता सीता ने भी रखा था छठ का व्रत
छठ पूजा को लेकर कई कहानियां बताई जाती हैं. एक पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि माता सीता जब भगवान श्रीराम के साथ 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटी थी. तब उसके बाद उन्होंने ऋषि-मुनियों के कहने पर राज सूर्य यज्ञ किया था. उस यज्ञ के लिए माता सीता ने मुग्दल ऋषि को न्योता दिया था. बताया जाता कि इसके बाद  मुग्दल ऋषि ने माता सीता के ऊपर गंगाजल छिड़ककर उन्हें पवित्र किया था. उसके बाद कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की आराधना करने के लिए कहा था. जिसके बाद माता सीता ने मुग्दल ऋषि के कहने पर उनके आश्रम में रहकर पूरे 6 दिनों तक सूर्य भगवान की पूजा और आराधना की थी. जिसके बाद उन्होंने 7वें दिन सूर्योदय के समय फिर से पूजा अनुष्ठान कर सूर्य भगवान का आशीर्वाद लिया था. तभी से छठ का त्योहार मनाया जाता है. 
कर्ण करते थे पानी में खड़े होकर सूर्य भगवान की पूजा
सीता माता की इस कथा के बाद महाभारत से जुड़ी भी एक प्रचलित छठ की कहानी है. बताया जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. कथा के अनुसार बताया जाता है कि इस त्योहार की शुरुआत सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने की थी. जैसा कि कर्ण सूर्य भगवान के सबसे बड़े भक्त हुआ करते थे. वे रोजाना पानी में खड़े होकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देते थे. जिसके बाद से सूर्य भगवान को अर्घ्य देने की परंपरा चली आ रही है. 
द्रौपदी की हुई थी मनोकामना पूरी
कथाओं के मुताबिक पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी छठ का व्रत रखा था. बताया जाता है कि जब पांडव राजपाठ जुए में हार चुके थे. जिसके बाद द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा था. जिसके बाद उनकी इच्छा पूरी हुई थी और उन्हें सारा राज पाठ वापस मिल गया था.
पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य देव, छठी मईया के भक्त हुआ करते थे. जिसके कारण छठ के मौके पर सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है और यह बेहद शुभ होता है.

googletag.cmd.push(function () {googletag.display(“div-gpt-ad-1539258995955-0”);});

ये भी पढ़िये: Bihar News: दोस्त के रिश्तेदार के साथ था अवैध संबंध, रची साजिश, फिल्मी स्टाइल में कुछ इस तरह से कर दी हत्या

More Stories
Quick Links
TRENDING TOPICS
Partner sites
© 1998-2022 INDIADOTCOM DIGITAL PRIVATE LIMITED, All rights reserved.

source


Article Categories:
धर्म
Likes:
0

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *