डायबिटीज, जिसे मधुमेह या शुगर की बीमारी के नाम से भी जाना जाता है, एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जिसमें मरीज के शरीर के ब्लड में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। ऐसा तब होता है, जब किसी व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता है और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति उचित प्रतिक्रिया नहीं कर पाती हैं। जब शरीर में इंसुलिन सही मात्रा में नहीं बन पाता है तो पीड़ित व्यक्ति के मेटाबॉलिज्म पर भी इसका प्रभाव पड़ता है और शरीर के कई अंग सही तरीके से काम नहीं कर पाते हैं।
रोग के प्रमुख लक्षण
डायबिटीज रोगियों के सबसे सामान्य संकेतों में शामिल हैं-
-बहुत ज्यादा प्यास लगना।
-बार-बार पेशाब आना।
-बार-बार भूख लगना।
-दृष्टि में धुंधलापन आना।
-अचानक वजन का कम होना।
-अकारण थकावट महसूस होना।
-घाव का जल्द ठीक नहीं होना।
डायबिटीज के प्रकार
सामान्यतः डायबिटीज दो प्रकार का होता है-
टाइप-1 डायबिटीज: इस प्रकार का डायबिटीज बचपन से लेकर प्रौढ़ावस्था तक में प्रकट हो सकता है। इसमें शरीर में इंसुलिन हार्मोन अत्यंत कम मात्रा में तैयार होता है या बिल्कुल भी तैयार नहीं होता है। इससे ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है।
टाइप-2 डायबिटीज: इस प्रकार के डायबिटीज में इंसुलिन हार्मोन जरूरत से कम मात्रा में उत्पन्न होता है या हार्मोन सही ढंग से काम नहीं करता है। ऐसे मरीजों में लक्षणों का विकास बहुत धीरे-धीरे होता है और काफी कम लक्षण दिखलाई पड़ते हैं। इनके अलावा गैस्टेशनल डायबिटीज प्रेग्नेंट महिलाओं को हो सकता है।
रेग्युलर करवाएं ये टेस्ट
डायबिटीज पेशेंट्स को यहां बताए जा रहे टेस्ट रेग्युलर करवाने की सलाह दी जाती है-
ग्लूकोज लेवल: जो लोग डायबिटीज से पीड़ित होते हैं, उन्हें समय-समय पर ग्लूकोज लेवल की जांच अवश्य करानी चाहिए। यदि डायबिटीज के मरीज का ग्लूकोज का स्तर बढ़ता है तो यह रोगी के लिए खतरनाक हो सकता है। इसके साथ ही खून की जांच भी डायबिटीज रोगियों के लिए जरूरी है। इससे पता चलता है कि उसकी किडनी सही तरीके से काम कर रही है या नहीं। डायबिटीज का किडनी पर प्रतिकूल असर पड़ता है। कोलेस्ट्रॉल लेवल: कोलेस्ट्रॉल लेवल को नजरअंदाज करना डायबिटीज मरीज के लिए घातक साबित हो सकता है क्योंकि डायबिटीज रोगियों में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर हार्ट रोग का खतरा दोगुना हो जाता है। रक्त में ग्लूकोज की अधिक मात्रा, बैड कोलेस्ट्रॉल को असंतुलित कर देता है, जिसके कारण रक्त चिपचिपा हो जाता है। बैड कोलेस्ट्रॉल रक्त की धमनियों में जम जाता है और हार्ट डिजीज का खतरा उत्पन्न कर देता है। इसलिए कोलेस्ट्रॉल लेवल को जांचते रहें।
ब्लड प्रेशर की जांच: डायबिटीज मरीजों के लिए हाई ब्लड प्रेशर काफी घातक साबित हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर होने से हार्ट की समस्या के अलावा किडनी और आंख संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। इन सबसे बचने का सही तरीका है कि डायबिटीज पेशेंट्स, समय-समय पर ब्लड प्रेशर की जांच अवश्य कराते रहें।
पैरों की जांच: डायबिटीज पेशेंट्स को पैरों की समस्या भी हो सकती है। इसलिए पैरों की कोई भी समस्या होने पर इसे गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि इसमें पैरो की संवेदनशीलता धीरे-धीरे कम होने लगती है। इसलिए डायबिटीज पेशेंट्स को रेग्युलर अपने पैरों की जांच करवाते रहना चाहिए।
आंखों की जांच: डायबिटीज के रोगियों में जब रक्त में ग्लूकोज का स्तर लंबे समय तक बढ़ा हुआ रहता है तो इसका सीधा असर रेटिना पर पड़ता है। इसे रेटिनोपैथी कहते हैं। डायबिटीज में आंखों को होने वाले नुकसान का पता आसानी से नहीं चल पाता है। इससे बचने के लिए आंखों की नियमित जांच जरूरी है। यदि रेटिनोपैथी का जल्द इलाज न किया जाए तो रोगी अंधा भी हो सकता है।
सही लाइफस्टाइल है जरूरी
डायबिटीज एक ऐसा रोग है, जिसका इलाज किसी सटीक दवा से नहीं होता है। यह लाइफस्टाइल से जुड़ा हुआ रोग है, जिससे छुटकारा पाने के लिए इसे बैलेंस रखना जरूरी है। जो लोग इसे नजरअंदाज करते हैं और इस बीमारी के चपेट में आने के बाद भी गंभीर नहीं होते हैं, मीठा खाना नहीं छोड़ते, फास्ट फूड खाते रहते हैं, बढ़ते वजन पर ध्यान नहीं देते, व्यायाम या योग नहीं करते, शराब पीते हैं, ऐसे लोगों का ट्रीटमेंट बहुत मुश्किल हो जाता है। डायबिटीज से छुटकारा पाने के लिए आपको अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाना होगा।
ऐसे करें कंट्रोल
डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए कुछ बातों पर अमल करना चाहिए-
-सैचुरेटेड फैट वाले फूड्स का सेवन नहीं करना चाहिए।
-सब्जियों, ताजे फल, साबुत अनाज, डेयरी उत्पाद और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स वाले फूड्स को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।
-कई शोधों में पता चला है कि तनाव के कारण हार्मोंस का स्राव बाधित होता है और इससे ब्लड ग्लूकोज का स्तर बढ़ता है। इसलिए डायबिटीज के रोगियों को तनाव से बचने की सलाह दी जाती है।
– 45 वर्ष से अधिक उम्र के डायबिटीज पेशेंट्स को रेग्युलर अपना फुल हेल्थ चेकअप कराना चाहिए।
कारगर घरेलू उपाय
डायबिटीज को कंट्रोल करने में कुछ घरेलू नुस्खे भी काफी फायदेमंद होते हैं। करेले का सेवन लाभकारी होता है। करेले में कैरेटिन नामक नेचुरल स्टेरॉयड होता है, जो ब्लड में शुगर लेवल नहीं बढ़ने देता। करेले के 100 मिली. रस में इतना ही पानी मिलाकर दिन में तीन बार लेने से बहुत लाभ होता है। इसके अलावा जामुन का रस, आंवले का रस, जामुन के बीजों के चूर्ण का सेवन डायबिटीज के असर को कम करने में मदद करता है। कार्बोहाइड्रेट, कैलोरी और कई तरह के माइक्रोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर शहद, डायबिटीज में लाभकारी माना जाता है। रागी के आटे का सेवन भी डायबिटीज के असर को कम करने में सहायक होता है।
डॉ. एससी शर्मा
सीनियर फिजीशियन, नई दिल्ली
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