गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को अपनाने का समय,शाम सुंदर अग्रवाल/उमेश शारदा श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व पर भाजपा नेताओ ने गुरुद्वारा साहिब में नतमस्तक होकर की सरबत के भले की कामना

कपूरथला( बॉबी शर्मा )प्रथम पातशाही श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व मंगलवार को श्रद्धा के साथ मनाया गया।इस दौरान भाजपा प्रदेश कार्यकारणी के सदस्य शाम सुंदर अग्रवाल,प्रदेश कार्यकारणी के सदस्य उमेश शारदा,भाजपा के ज़िला उपाध्यक्ष एडवोकेट पियूष मनचंदा,ज़िला उपाध्यक्ष अशोक माहला,ज़िला उपाध्यक्ष धर्मपाल महाजन एवं ज़िला सचिव रिंपी शर्मा ने गुरुसाहिब के आगे नतमस्तक होकर गुरुसाहिब के चरणो में पंजाब और राष्ट्र की ख़ुशहाली के लिये अरदास की और सरबत के भले के लिए कामना की।कहा वाहेगुरु जी हमारे पंजाब पर मेहर भरा आशीर्वाद बख़्शें।इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के सदस्य सरदार जरनैल सिंह डोग्रावल द्वारा भाजपा नेताओ को सिरोपाओ देकर सम्मानित भी किया।इस अवसर पर शाम सुंदर अग्रवाल और उमेश शारदा ने कहा कि गुरु नानक जी की तीन बड़ी शिक्षा खुशहाली से जीने का मंत्र देती हैं।ये शिक्षा है-नाम जपो, किरत करो और वंड छको।यह सीखें कर्म से जुड़ी हुई हैं।कर्म में श्रेष्ठता लाने की ओर ले जाती हैं।यानी मन को मजबूत,कर्म को ईमानदार और कर्मफल के सही इस्तेमाल की सीख देती हैं।ये एकाग्रता-परोपकार की ओर भी ले जाती हैं।गजपा नेताओ ने कहा कि गुरु नानक जी ने कहा है-सोचै सोचि न होवई,जो सोची लखवार।चुपै चुपि न होवई,जे लाई रहालिवतार।यानी ईश्वर का रहस्य सिर्फ सोचने से नहीं जाना जा सकता है,इसलिए नाम जपे।नाम जपना यानी ईश्वर का नाम बार-बार सुनना और दोहराना।नानक जी ने इसके दो तरीके बताए हैं-संगत में रहकर जप किया जाए।संगत यानी पवित्र संतों की मंडली।या एकांत में जप किया जाए।जप से चित्त एकाग्र हो जाता है और आध्यात्मिक-मानसिक शक्ति मिलती है।मनुष्य का तेज बढ़ जाता है।शाम सुंदर अग्रवाल ने कहा कि गुरु नानक देव जी तथा सनातन संस्कृति की रक्षा में शहीदी देने वाले अन्य सिख गुरु साहिबान,उनके दर्शन और संदेशों पर ईमानदारी से विचार किया जाए।वर्तमान समय में यह इसलिए भी आवश्यक हो जाता है क्योंकि पंजाब की भाईचारक साँझ को तोड़ने की कुछ लो कोशिश करने में लगे है।यह किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तानी खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. कई आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर पंजाब को पुन:अशांत करने का षड्यंत्र रच रही है।क्या यह सत्य नहीं कि जिस विषैले चिंतन ने अपने गर्भ से आतंकवाद या मजहबी कट्टरता को जन्म दिया है,उसका शिकार पंजाब पहले क्रूर विदेशी आक्रांताओं और फिर 1980-90 के दशक में हो चुका है?उमेश शारदा ने कहा कि औपनिवेशी षड्यंत्र के बाद वामपंथी इतिहासकारों ने अपनी विचारधारा के अनुरूप इतिहास को इतना विकृत कर दिया कि आज पंजाब सहित देश की नई पीढ़ी का एक बड़ा भाग अपने गौरवमयी अतीत,परंपरा और कालजयी संस्कृति से अनभिज्ञ है।आवश्यकता आज इस बात की है कि हर भारतवासी गुरु ग्रंथ साहिब से न केवल प्रेरणा ले,बल्कि सिख गुरुओं ने जिन मान्यताओं,मर्यादाओं और जीवनशैली को अपनाया,उसका अपने जीवन में अनुसरण करने का भी प्रयास करे।भारत का कल्याण इसी में निहित है।


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