पर्यावरण की बहाली, जल निकायों को बचाना समय की मांग साइंस सिटी में विश्व जलगाह दिवस मनाया गया

कपूरथला बॉबी शर्मा
जलगाहों की अब देखभाल करना बहुत जरूरी है, अगर हम अभी भी देरी करते हैं, तो बहुत देर हो जाएगी। यह कृषि-पर्यटन और मत्स्य पालन के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ये जलगाहें कई जलीय जीवों का घर हैं, प्राकृतिक समुद्री जीवन को नदियों में बहने से रोकते हैं और चल रहे जलवायु परिवर्तन के लिए कार्बन डाइऑक्साइड का भंडारण करते हैं।इन विचरों का प्रगटावा साइंस सिटी में विश्व जलगाहां दिवस के अबसर पर करवाए गए समारोह के दौरान डायरेक्टर जनरल डॉ. नीलिमा जेरथ ने किया। इस वर्ष के विश्व जलगाहां दिवस समारोह का विषय “जलगाहों को पुनर्स्थापित करने का समय” है। यह विषय जलगाहों की बहाली को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए डॉ. जेरथ ने कहा कि जलगाहें जैव विविधता, विशेष रूप से प्रवासी पक्षियों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, और इसे ठीक से बनाए रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह 1988 से पंजाब के जलगाहों पर काम कर रहे हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था में पर्यावरण के महत्व को देखते हुए, पंजाब सरकार ने 1987 में हरे जल निकायों को बनाए रखने के लिए एक पहल की। हरिके को 1990 में रामसर कन्वेंशन, 2000 में रोपड़ और कांजली के तहत मान्यता दी गई थी। अब रामसर कन्वेंशन के तहत पंजाब के केशोपुर, नंगल और ब्यास समेत 6 जल निकायों को अंतरराष्ट्रीय जलगाहें घोषित किया गया है। इनकी देखभाल पंजाब का वन एवं वन्य जीव विभाग कर रहा है।
इस अवसर पर डॉ. हमिंदर सिंह भारती, डायरेक्टर, पर्यावरण बहाली केंद्र पंजाब, पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। अपने लेक्चर के दौरान, उन्होंने आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की और मानवजनित चरण के दौरान पर्यावरण की बहाली पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि पर्यावरणीय तनाव विभिन्न खतरों के कारण होता है, जिसमें आवासों का विनाश, अतिक्रमण और विखंडन, आक्रामक प्रजातियों सहित जैविक संसाधनों का दुरुपयोग, प्रदूषण, बीमारियां और वैश्विक जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। इस तरह की घटनाओं के कारण कई प्रजातियों के विलुप्त होने की दर में तेजी से वृद्धि हुई है। इसी के कारण ही पर्यावरण सुरजीति और बहाली में लागत मूल तेजी से बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि जलस्रोत हमेशा बर्बाद नजर आते हैं। हमारी 35 प्रतिशत से अधिक जलगाहें लुप्त हो चुकी है। इस अवसर पर उन्होंने जलगाहों की के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि हम प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा कर सकें और अपनी आने वाली पीढ़ियों को अनुकूल वातावरण प्रदान कर सकें।
इस अवसर पर पक्षियों पर आधारित कविता गायन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें प्रथम पुरस्कार गुरु अमरदास पब्लिक स्कूल की गुरलीन कौर ने, दितीय पुरस्कार श्री गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल, रेल कोच फैक्ट्री, कपूरथला की नवदीप कौर व तृतीय पुरस्कार राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय वडाला कपूरथला के बल्दीश सिंह ने हासिल किया।
इस अवसर पर साइंस सिटी के डायरेक्टर डॉ.राजेश ग्रोवर ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि अमानवीय गतिविधियां जल निकासी और जल निकायों के रूपांतरण का मुख्य कारण हैं। उन्होंने जल निकायों को पुनर्जीवित और संरक्षित करने के लिए वित्तीय, मानवीय और राजनीतिक निवेश की आवश्यकता पर बल दिया।


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