क्या भारत एक समान नागरिक संहिता के लिए तैयार है – Punjab Kesari

helo
हमें खेद हैं कि आप opt-out कर चुके हैं।
लेकिन, अगर आपने गलती से “Block” सिलेक्ट किया था या फिर भविष्य में आप नोटिफिकेशन पाना चाहते हैं तो नीचे दिए निर्देशों का पालन करें ।
SAT, APR 02, 2022
दिल्ली में कोविड के 131 नए मामले, 1 मरीज की…
अमित शाह ने 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव…
आश्वस्त हूं कि नेपाली प्रधानमंत्री देउबा की…
मनरेगा पर केन्द्र ने संसद का मजाक बनाया, बजट…

धर्म/कुंडली टीवी
Gadgets
Photos
Videos
5 राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों में हमारे राजनीतिक दल पहचान की राजनीति का मुद्दा उठा रहे हैं। यह मुद्दा संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों की पूॢत और अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए उठाया जा रहा है। कर्नाटक के उड्डुपी में शैक्षिक संस्थान में हिजाब पर प्रतिबंध के बाद उठे

5 राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों में हमारे राजनीतिक दल पहचान की राजनीति का मुद्दा उठा रहे हैं। यह मुद्दा संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों की पूॢत और अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए उठाया जा रहा है। कर्नाटक के उड्डुपी में शैक्षिक संस्थान में हिजाब पर प्रतिबंध के बाद उठे विवाद ने संविधान के अनुच्छेद 44 के कार्यान्वयन पर पुन: बहस छेड़ दी है। इस अनुच्छेद में कहा गया है कि राज्य भारत के संपूर्ण भू-भाग में अपने नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करेगा। हिजाब को एक आवश्यक धार्मिक प्रथा मानते हुए कर्नाटक सरकार ने संविधान सभा में बाबा साहेब अंबेडकर के वक्तव्य को उद्धृत किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि हमें धार्मिक निर्देशों को शैक्षिक संस्थानों से बाहर रखना चाहिए। 

आशानुरूप विपक्षी दलों, सामाजिक कार्यकत्र्ताओं और बुद्धिजीवियों ने हिजाब प्रतिबंध के मामले में मुस्लिम लड़कियों का समर्थन किया और कहा कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और समानता के अधिकार का अतिक्रमण करता है। अन्य लोगों का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 के अंतर्गत प्रदत्त लिंग की समानता के अधिकार अनुच्छेद 21 के अंतर्गत महिलाओं की गरिमा की गारंटी का अतिक्रमण करता है और इन अधिकारों को एक समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता। 

एक समान नागरिक संहिता में धर्म को सामाजिक संबंधों से अलग रखा जाता है और हिन्दू कोड बिल, शरिया कानून अदि जैसे वैयक्तिक कानूनों, जो धार्मिक ग्रंथों और विभिन्न धार्मिक समुदायों के रीति-रिवाजों पर आधारित हैं, उन्हें भी अलग रखता है और उसके स्थान पर एक समान कानून बनाया जाता है जो विवाह, तलाक, दत्तक ग्रहण, उत्तराधिकार आदि जैसे वैयक्तिक मामलों में धर्म को ध्यान में रखते हुए सभी नागरिकों को एक समान अधिकार देता है और इस प्रकार विभिन्न सांस्कृतिक समूहों में सामंजस्य स्थापित, असमानता को दूर और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करता है और इस प्रकार लिंग के आधार पर एक समान समाज का निर्माण करता है।

वस्तुत: एक समान नागरिक संहिता सत्तारूढ़ भाजपा का मुख्य मुद्दा रहा है और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण तथा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को रद्द करने के साथ-साथ पार्टी के 2019 के लोकसभा चुनावों के घोषणा पत्र में शामिल किया गया था। मोदी और अमित शाह दोनों का मानना है कि किसी भी देश में धर्म आधारित कानून नहीं होने चाहिएं और सभी नागरिकों के लिए एक कानून होना चाहिए। एक समान नागरिक संहिता समाज के कमजोर वर्गों और धार्मिक अल्पसंख्यकों को संरक्षण और एकता के माध्यम से राष्ट्रवादी भावना को बढ़ावा देती है। यह अल्पसंख्यक बनाम बहुसंख्यक मुद्दा है और भारत में रह रहे मुसलमानों के लिए हिंदुत्व ब्रिगेड की नीति है। अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इस संबंध में आपत्ति व्यक्त की और वे इसे भारत की विविधता के लिए खतरा मानते हैं। 

हमारे देश में बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक समाज हैं। प्रत्येक समूह को अपनी पहचान बनाने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। इससे एक विचारणीय प्रश्न उठता है कि एक समान नागरिक संहिता को अल्पसंख्यक विरोधी क्यों माना जा रहा है? यदि हिन्दू पर्सनल लॉ का आधुनिकीकरण किया जा सकता है और परंपरागत ईसाई प्रथाओं को असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है तो फिर मुस्लिम पर्सनल लॉ को पवित्र क्यों माना जाता है।  दु:खद तथ्य यह है कि विगत वर्षों में देश में संकीर्ण व्यक्तिगत राजनीतिक एजैंडे के लिए जानबूझकर धर्म को विकृत किया गया है और इसका उद्देश्य वोट बैंक भी रहा है। इस महत्वपूर्ण तथ्य में बाधाएं उत्पन्न की गई कि डॉ. अंबेडकर ने वैकल्पिक एक समान नागरिक संहिता की वकालत की थी। वस्तुत: उच्चतम न्यायालय ने भी अनेक बार एक समान नागरिक संहिता बनाने पर बल दिया किंतु इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाए गए। 

वर्ष 2019 में राज्य सभा में भाजपा के एक सदस्य ने एक समान नागरिक संहिता के बारे में एक गैर-सरकारी विधेयक पेश किया, किंतु विपक्षी सदस्यों ने इसे इसलिए रोक दिया कि इससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है क्योंकि उस समय देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शन चल रहे थे। नवम्बर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने केन्द्र से आग्रह किया कि वे एक समान नागरिक संहिता के संबंध में त्वरित कदम उठाए क्योंकि यह आज की आवश्यकता है और इसे अनिवार्य रूप से लागू किया जाना चाहिए। दु:खद तथ्य यह है कि आज की राजनीतिक-सामाजिक वास्तविकता के मद्देनजर अंबेडकर की स्वस्थ सलाह को नजरअंदाज किया गया और इसे एक दिवास्वप्न के रूप में देखा जा रहा है तथा अनुच्छेद 44 लागू नहीं किया गया।

वर्तमान स्थिति यह है कि हिन्दू और मुसलमान दोनों ने अपने धर्मों के मूल तत्वों को भुला दिया है और उन्हें मुख्यतया धर्मांध और कट्टरवादी लोगों द्वारा गुमराह किया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि आज शिक्षित वर्ग की भाषा और कट्टरवादी हिन्दू-मुसलमानों की भाषा में अंतर नहीं किया जा सकता। प्रत्येक आलोचना के लिए उनका एक ही उत्तर होता है कि धर्म खतरे में है। इस मामले को इस तथ्य ने और उलझा दिया है कि देश में व्यक्तिगत कानूनों द्वारा अनेक धार्मिक प्रथाओं और आस्थाओं को चलाया जाता है और जब तक एक समाज के रूप में हम इन सब चीजों को नहीं छोड़ते, तब तक एक समान नागरिक संहिता की कल्पना नहीं की जा सकती।

भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और पश्चिमी देशों में धर्मनिरपेक्षता का तात्पर्य है कि राज्य का कोई धर्म नहीं है जबकि यहां धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा का तात्पर्य सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता है। यह न तो ईश्वर समर्थक है और न ईश्वर विरोधी तथा उससे अपेक्षा की जाती है कि वह सभी धर्मों और लोगों को एक नजर से देखे ओर यह सुनिश्चित करे कि धर्म के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव न किया जाए।  फिर इस समस्या का समाधान क्या है? यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्या सरकार विभिन्न वायदों से मुक्त होना चाहती है? अपनी गलतफहमियों और चिंताओं को दूर करने के लिए लोगों में आम सहमति बननी चाहिए और उसके बाद ही एक समान नागरिक संहिता बनाई जा सकती है। एक वरिष्ठ मंत्री के शब्दों में, ‘‘एक समान नागरिक संहिता लैंगिक न्याय के लक्ष्य को प्राप्त करने का वैज्ञानिक और आधुनिक तरीका है जो कानूनों में अलग-अलग निष्ठाओं को दूर कर राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देगा क्योंकि इन अलग-अलग कानूनों में परस्पर विरोधाभासी विचारधाराएं हैं।’’ 

भारत और उसकी धर्मनिरपेक्षता की खातिर यह एक समान नागरिक संहिता स्वैच्छिक होनी चाहिए और उसे धीरे-धीरे स्वीकृति मिलनी चाहिए। तब मुस्लिम लोगों के पास एक विकल्प होगा कि वे उदार और प्रगतिशील बनें या पुरातनपंथी या पिछड़े बने रहें। गोवा में लंबे समय से पुर्तगाली शासकों के कारण एक समान नागरिक संहिता है और इसे सभी लोगों द्वारा स्वीकार किया गया है तथा इस प्रकार गोवा की एक पहचान बनी है। समय आ गया है कि अलग-अलग समुदायों के लिए अलग-अलग कानूनों को रद्द किया जाए और संविधान के अनुच्छेद 44 को लागू कर भारत में सुधार लाया जाए। आपका क्या मत है?-पूनम आई. कौशिश
 
जिस सवाल का इमरान जवाब नहीं दे पाए
Stories You May Like
भाजपा सांसद ने उठाई मांग, फर्रुखाबाद का नाम बदल कर पांचाल नगर किया जाए
PunjabKesari TV

PunjabKesari TV

PunjabKesari TV

PunjabKesari TV

PunjabKesari TV

PunjabKesari TV

PunjabKesari TV

PunjabKesari TV

PunjabKesari TV

PunjabKesari TV

मेष राशि वालों आज कार्यक्षेत्र में अधिक परिश्रम करना पड़ सकता है। बेरोजगारों को रोजगार के नए अवसर……Read more
वृष राशि वालों आज कपड़ों के क्षेत्र से जुड़े लोगों को मुनाफा हो सकता है। मशीनरी संबंधी व्यवसाय में……Read more
मिथुन राशि वालों प्रॉपर्टी संबंधी कार्य में कोई नुकसान होने की संभावना है। पैसों के मामले में किसी……Read more
कर्क राशि वालों पार्टनरशिप संबंधी किसी भी कार्य में लापरवाही न बरते। ऑफिस का माहौल खुशहाल रहेगा।……Read more
सिंह राशि वालों कार्यक्षेत्र में काम की अधिकता रहेगी। बिजनेस में सहकर्मचारियों का हर काम में सहयोग……Read more
कन्या राशि वालों मार्केटिंग संबंधी बिजनेस में धन लाभ के योग बन रहे हैं। पारिवारिक माहौल सुखद व……Read more
तुला राशि वालों मानसिक रूप से आज सुकून महसूस करेंगे। बिजनेस में लापरवाही से काम न करें। नुकसान हो……Read more
वृश्चिक राशि वालों फाइनेंस संबंधित काम पर ज्यादा ध्यान दें। काम को लेकर किसी पर निर्भर न रहें।……Read more
धनु राशि वालों बिजनेस में कोई प्रोजेक्ट पूरा होने से भरपूर फायदा होगा। जीवनसाथी व परिवार वालों का……Read more
मकर राशि के जातकों को आज कार्यक्षेत्र में संयम से काम लेना होगा। जल्दबाजी में कोई फैसला न लें।……Read more
कुंभ राशि वालों आज का दिन अच्छा रहेगा। कारोबार को लेकर नई योजनाएं सफल होंगी। परिवार के प्रति जो……Read more
मीन राशि वालों आज कार्यक्षेत्र में धन लाभ के योग हैं। आर्थिक पक्ष पहले से मजबूत होगा। वैवाहिक जीवन……Read more
Main Menu
Keep yourself updated with National News. We are first to cover The National Latest News as they take place. All the upcoming National Politics NewsCrime News in Hindi is available exclusively on www.punjabkesari.in . We are committed to provide you all Latest,Breaking News of Nation.
पंजाब केसरी हिन्दी न्यूज की आधिकारिक वेबसाइट पर आपको न सिर्फ पल -पल की खबर मिलेगी बल्कि आप देख सकते हैं देश और दुनिया के वीडियो भी। क्योंकि हमारे पास है वीडियो और टैक्स्ट की खबरों के लिए एक हजार से ज्यादा रिपोर्ट्स का बड़ा नेटवर्क, जो आप तक सबसे पहले और तेजी से पहुंचा रहे हैं हर खबर। देश, दुनिया,खेल, व्यापार, बॉलीवुड और राजनीति से जुड़ी खबरों के अपडेट के लिए बने रहें पंजाब केसरी के साथ।
For Advertisement Query
Email ID
advt@punjabkesari.in
TOLL FREE
Jalandhar
Address : Civil Lines, Pucca Bagh Jalandhar Punjab
Ph. : 0181-5067200, 2280104-107
Email : support@punjabkesari.in
Copyright @ 2018 PUNJABKESARI.IN All Rights Reserved.
Subscribe Now!

source


Article Categories:
धर्म
Likes:
0

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *