गणेश चतुर्थी के पहले दिन बुधवार को हनुमंत अखाडा में जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,माता जाकी पार्वती पिता महादेवा जैसे जयकारे सुनाई दिए
कपूथला( बॉबी शर्मा)गणेश चतुर्थी के पहले दिन बुधवार को हनुमंत अखाडा से गणपति भप्पा मोरी राखो लाज,पूरे होंगे तोहरे काज,गणपति बप्पा मोरिया एवं जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,माता जाकी पार्वती पिता महादेवा जैसे जयकारे सुनाई दिए।गणेश चतुर्थी के सबंध में हनुमंत अखाडा में विराजे गणेश भगवान की सुबह शाम आरती हो रही है।जिसमें देश में खुशहाली आए और आपसी भाईचारा मजबूत हो की प्रार्थनाएं भी की जा रही हैं।गणेश चतुर्थी के पहले दिन बुधवार को शहर के हनुमंत अखाड़ा में चल रहे गणेश महोत्सव में विश्व हिन्दू परिषद् के नेता व माता भद्रकाली मंदिर कमेटी के अशोक शर्मा ने परिवार सहित भगवन गणेश कि आरती की।इस अवसर पर अशोक शर्मा ने कहा कि गणेश जी को प्रथम देव माना गया है।शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश जी का ध्यान किया जाता है।माना जाता है कि किसी भी शुभ कार्य करने से पूर्व गणेश जी की वंदना और स्तुति से कार्य में आने वाले विघ्न समाप्त हो जाते हैं।इसीलिए भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश जी के जन्म दिन के रूप में मनाते हैं।भगवान गणेश जी को बुद्धि और विद्या का दाता माना गया है।अशोक शर्मा ने कहा कि भगवान गणेश जी ने ही महाभारत काव्य अपने हाथों से लिखा था।पौराणिक कथा के अनुसार विद्या के साथ साथ भगवान गणेश को लेखन कार्य का भी अधिपति माना गया है।गणेश जी को सभी देवी देवताओं में सबसे अधिक धैर्यवान माना गया है।उनका चित्त स्थिर और शांत बताया गया है।कैसी भी परिस्थिति हो वे
अपना धैर्य नहीं खोते हैं।शांत भाव से अपने कार्य को करते रहते हैं।इसी कारण उनकी लेखन की शक्ति भी अद्वितीय मानी गई है।उन्होंने कहा कि महर्षि वेद व्यास भगवान गणेश के इसी खूबी के चलते अति प्रभावित थे।जब महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना करने का मन बनाया तो उन्हें महाभारत जैसे महाकाव्य के लिए एक ऐसे लेखक की तलाश थी जो उनके कथन और विचारों को बिना बाधित किए लेखन कार्य करता रहे।क्योंकि बाधा आने पर विचारों की सतत प्रक्रिया प्रभावित हो सकती थी।महर्षि वेद व्यास ने सभी देवी देवताओं की क्षमताओं का अध्ययन किया लेकिन वे संतुष्ट नहीं हुई तब उन्हें भगवान गणेश जी का ध्यान आया।महर्षि वेद व्यास ने गणेशजी से संपर्क किया और महाकाव्य लिखने का आग्रह किया।भगवान गणेश जी ने वेद व्यास जी के आग्रह को स्वीकार कर लिया लेकिन एक शर्त उनके सम्मुख रख दी।शर्त के अनुसार काव्य का आरंभ करने के बाद एक भी क्षण कथा कहते हुए रूकना नहीं है।क्योंकि ऐसा होेने पर गणेश ने कहा कि वे वहीं लेखन कार्य को रोक देंगे।इस अवसर पर बजरंग दल के जिला प्रधान जीवन प्रकाश वालिया,जिला प्रभारी चन्दर मोहन भोला,जिला उपप्रधान आनंद यादव,विहिप उपप्रधान मंगत राम भोला,बजरंग दल नेता इशांत माहिरा,अखाडा प्रमुख बजरंगी मनोज सिंह,सनी कुमार,राहुल,दिनेश,संजू,संदीप,आशु, समीर,अजय,सनी आदि उपस्थित थे।
Author Profile

Latest entries
धर्म2023.02.05समय आ गया है कि ब्राह्मण समाज को अपने हक के लिए आवाज उठानी पड़ेगी / साहिल शर्मा
धर्म2023.02.05समय आ गया है कि ब्राह्मण समाज को अपने हक के लिए आवाज उठानी पड़ेगी / साहिल शर्मा
लेटेस्ट2023.02.02पर्यावरण की बहाली, जल निकायों को बचाना समय की मांग साइंस सिटी में विश्व जलगाह दिवस मनाया गया
पंजाब2023.02.01महिलाओं को आर्थिक सशक्त बनाने के लिए बजट 2023 24 //रिंपी शर्मा