शरद यादव ने LJD का विलय RJD में किया: तेजस्वी बोले- सभी समाजवादी एकजुट हो नफरत की राजनीति का खात्मा करें; न… – Dainik Bhaskar

शरद यादव ने अपनी पार्टी LJD (लोकतांत्रिक जनता दल) का विलय RJD (राष्ट्रीय जनता दल) में रविवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कर दिया। इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि- ‘शरद यादव ने जो निर्णय लिया है वह समय की मांग और जनता की मांग है। शरद जी लंबे समय से राजनीति करते रहे और सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई लड़ते रहे। अभी भी वे बिहार और देश की चिंता कर रहे हैं।’
देश की संपत्ति बेची जा रही
तेजस्वी यादव ने कहा कि- पूरे देश में नफरत का वातावरण है। नफरत की राजनीति हो रही है। महंगाई चरम सीमा पर है। देश की संपत्ति को बेचा जा रहा है। बड़ी-बड़ी संस्थाओं को पार्टी का सेल बनाया जा रहा है। महंगाई, किसान और बेरोजगारी को लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं तो उन्हें कुचला जा रहा है। ऐसे समय में शरद यादव ने जो फैसला लिया है उससे हमारा हौसला बढ़ा है। आज देश में नफरत फैलाकर नए भारत की कल्पना की जा रही है। उन्होंने कहा कि अब देर बहुत हो गई। सभी विपक्षी पार्टियों को मिलकर तैयारी करने की जरूरत है। शरद यादव के समर्थकों से तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारी पार्टी अब आप सब लोगों की पार्टी है। कार्यकर्ताओं से ही हमें ऊर्जा मिलती है। शरद यादव ने मेरे ऊपर काफी भरोसा जताया है। इस भरोसे को हम सबको मिलकर संभालना है।
ऐसा राजनीतिक सर्कस किसी ने इतिहास में नहीं देखा होगा
तेजस्वी ने कहा कि सभी समाजवादी लोगों को एकजुट हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार में सरकार नहीं सर्कस चल रहा है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष को क्या-क्या नहीं कहा। इतिहास में ऐसा पिक्चर किसी ने नहीं देखा होगा। मुख्यमंत्री विशेष राज्य की मांग करते हैं और भाजपा के लोग कहते हैं विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत ही नहीं है। आखिर नीतीश कुमार कैसी सरकार चला रहे हैं।
नीतीश के पास कोई नीति नहीं
तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव के समय 5-6 सीट पर मतगणना के समय इधर-उधर करके बिहार सरकार बना ली गई। कहा कि लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने मिलकर लंबा संघर्ष किया है। इनकी जीवनी लोगों को पढ़नी चाहिए। आज फिर से पुराने जनता दल का रूप हम लोगों के सामने आ रहा है। शरद यादव ने काफी निडरता दिखाई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास न तो कोई नीति है, न कोई सिद्धांत। वे कभी इधर रहते हैं कभी उधर रहते हैं।
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