वेद में बसा है धर्म का मूल विद्यानिधि वेद
वेद में बसा है धर्म का मूल : विद्यानिधि
संवाद सहयोगी, मेहरमा (गोड्डा) : आर्य समाज मंदिर चपरी में विश्व कल्याण हेतु साप्ताहिक वैदिक हवन यज्ञ में वैदिक पुरोहित विद्यानिधि आर्य ने धर्म और संप्रदाय पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि धर्म स्वावलंबन तथा संसार के सभी मानव के लिए लाभदायक होता है। कहा कि धैर्य रखना, क्षमा करना, स्वच्छता, बुद्धि की कामना करना, विद्या को बढ़ाना, अविद्या का नाश करना जितने भी अच्छे कर्म हैं। यह सब हमें धर्म ही सिखाता है। धर्मावलंबी लोग अपने-अपने धर्म के अनुसार कार्य करते हैं। जिस प्रकार सूर्य का धर्म है ताप देना, चंद्रमा का धर्म है शीतल देना। ठीक उसी प्रकार मनुष्य का भी धर्म है। सत्य का पालन करना। राजा हरिश्चंद्र, भगवान राम,कृष्ण आदि महापुरुषों ने कभी भी अपने धर्म को नहीं छोड़ा, इसलिए उनका नाम इतिहास में है। कहा कि धर्म के 10 लक्षण संसार के सभी मनुष्यों पर लागू होता है। वेद को ही धर्म का मूल बताया। सभी को वेद के सिद्धांत को धारण करने, मनु महाराज द्वारा बताए गए धर्म के सभी 10 लक्षणों का पालन करने का आह्वान किया।कहा कि जब तक हम धर्म को मानते रहेंगे तब तक हम उन्नति करते रहेंगे। व्यक्तिगत विचार मानने वाले को संप्रदाय कहा। इस प्रकार के लोग अपने खास व्यक्ति के विचार, आदर्श व सिद्धांत को मानते हैं। उसे महत्व देते हैं। कहा कि मत मतांतर शुरू से चलते आ रहा है। विभिन्न संप्रदाय के लोग अपने अपने ज्ञान के अनुसार मत बनाया है। जिसे लोग मानते आ रहे हैं। इस अवसर पर यजमान की भूमिका में सुबोध आय॔ के अलावा डॉ जवाहरलाल आर्य,गौतम कुमार आर्य, मुकेश कुमार आर्य सहित अन्य उपस्थित थे।
Edited By Jagran
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