इमेज स्रोत, MURAT CETINMUHURDAR/PRESIDENTIAL OFFICE/REUTERS
यूक्रेन और रूस के बीच शांति बहाली के लिए मंगलवार को तुर्की के इस्तांबुल शहर में बातचीत हुई. यूक्रेन और रूस के बीच बेलारूस की सीमा पर भी पहले बातचीत हो चुकी है लेकिन उसका अब तक कोई हल नहीं निकला है.
बेलारूस से इतर यह बैठक तुर्की में हुई थी, जिसे देश के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इस्तांबुल के अपने कार्यालय में आयोजित किया. उनके शानदार कार्यालय 'द डोलमाबाची पैलेस' में यह बैठक हुई.
अर्दोआन के इस बैठक के लिए ऐसी जगह चुनने को भी बहुत से लोग कई संकेतों की तरह देख रहे हैं. बोस्फ़ोरस के किनारे यह पैलेस बना हुआ है, इसी जगह पर एशिया और यूरोप मिलते भी हैं.
विश्लेषकों का मानना है कि तुर्की के नेता ने इसके ज़रिए यह संदेश देने की कोशिश की है कि वो अपनी भूमिका को किस तरह से देखना चाहते हैं. बैठक जिस इमारत में हुई उसने दो सदियों का इतिहास देखा है और कभी उस्मानिया सल्तनत वहीं से चलाई जाती थी.
मंगलवार को जब रूस और यूक्रेन का प्रतिनिधिमंडल इस जगह पर पहुंचा तो उनके साथ-साथ अर्दोआन के लिए भी काफ़ी समय तक तालियां बजाई गईं.
समाप्त
अर्दोआन ने इस दौरान कहा कि जब बातचीत के लिए दोनों टीमें यहां पर आमने-सामने हैं तो युद्धविराम संधि पर पहुंचना उनकी 'ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी' बन जाती है.
इमेज स्रोत, EPA
बैठक से पहले अर्दोआन का तालियां बजाकर स्वागत किया गया
तुर्की के बड़े सरकार समर्थक मीडिया और विश्लेषक कह रहे हैं कि राष्ट्रपति अर्दोआन ने इस्तांबुल में हुई इस बातचीत के ज़रिए अपनी वैश्विक छवि को और मज़बूती दी है.
बातचीत के बाद तुर्की के अधिकारियों ने ज़ोर-शोर से अर्दोआन की छवि का प्रचार किया और कहा कि यह बातचीत 'बहुत अर्थपूर्ण' रही है.
30 मार्च को सरकार समर्थित हुर्रियत अख़बार के मुखपृष्ठ की हेडलाइन थी, 'बोस्फ़ोरस से बही शांति की हवा.' अख़बार ने इसके साथ फ़ोटो लगाई थी जिसमें दोनों प्रतिनिधिमंडल अर्दोआन के आने पर खड़े होकर उनके स्वागत में तालियां बजा रहे हैं.
सरकार समर्थक तुर्किये अख़बार की प्रमुख ख़बर में ऐसा ही फ़ोटो था जिसमें दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल अर्दोआन के सम्मान में तालियां बजा रहे हैं. इस ख़बर का शीर्षक था, 'इन तालियों से शांति आए.'
तुर्किये और सरकार समर्थित अकसाम अख़बार ने जर्मन मीडिया की रिपोर्ट के हवाले से लिखा , 'अर्दोआन सफल हुए (यूक्रेन-रूस की बातचीत में), न कि यूरोप.'
इमेज स्रोत, Reuters
हुर्रियत के स्तंभकार अब्दुलकादिर सेलवी ने लिखा कि तुर्की अब 'शांति के पते' के तौर पर देखा जा रहा है और 'अर्दोआन ने दुनिया के आगे ख़ुद के वैश्विक नेतृत्व की पहचान दिलाई है.'
सेलवी ने अपने पिछले लेख में बताया था कि बातचीत की कोशिशों में अर्दोआन की भूमिका घरेलू चुनावी रेटिंग में उनको बढ़त देगी.
सरकार समर्थक सबाह अख़बार में स्तंभकार हिलाल कपलान ने कहा कि बातचीत ने 'एक बार फिर पुष्टि कर दी' है कि अर्दोआन 'नोबेल शांति पुरस्कार के हक़दार हैं.'
कपलान ने यह भी लिखा कि तुर्की को बातचीत का केंद्र बनाना एक 'गर्व' का बिंदु है और यह संकेत है कि उसका 'विश्व पटल पर उदय लगातार जारी है.'
सरकार समर्थक 'ए हैबर' समाचार चैनल के प्रेज़ेंटर ने अर्दोआन की यह कहते हुए तारीफ़ की कि वो दो 'दुश्मन' प्रतिनिधिमंल को एकसाथ टेबल पर बातचीत के लिए लेकर आए. साथ ही चैनल ने बातचीत के बाद खड़े होकर उनके लिए तालियां बजाने की भी तारीफ़ की है.
इस पर प्रेज़ेंटर ने कहा, "यह ज़रूर जारी रहेगा. तुर्की महत्वपूर्ण क़दम बढ़ा रहा है."
इमेज स्रोत, EPA
सरकारी टीवी चैनल टीआरटी ने बातचीत के ऊपर रिपोर्ट प्रसारित करते हुए इसे अर्दोआन की 'शटल डिप्लोमैसी' बताया है.
हैबरतुर्क समाचार चैनल से बात करते हुए विश्लेषक नसूह गुंगोर ने कहा कि अंकारा का शांति प्रक्रिया में योगदान 'धीरे-धीरे पारस्परिक हो रहा है.'
गुंगोर ने कहा कि अर्दोआन के नेतृत्व में तुर्की की पहल एक बड़ी वैश्विक भूमिका की दिशा में है.
उन्होंने कहा, "सुपरपावर्स वो देश हैं जो अपनी भूमिका ख़ुद लिख सकते हैं. क्षेत्रीय ताक़त वाले देश बातचीत के ज़रिए अपनी भूमिकाओं को प्राप्त करते हैं. तुर्की एक क्षेत्रीय ताक़त है और विश्व पटल पर उसकी ताक़त का प्रसार है."
सरकार समर्थक मीडिया के अलावा सोशल मीडिया पर भी अर्दोआन की काफ़ी तारीफ़ें हो रही हैं. सोशल मीडिया पर अर्दोआन की तारीफ़ करते हुए ऐसी तस्वीरें शेयर की जा रही हैं जिसमें दोनों प्रतिनिधिमंडल उनके सम्मान में खड़े होकर तालियां बजा रहे हैं.
इमेज स्रोत, Reuters
तुर्की के राष्ट्रपति के समर्थक मीडिया से उलट विपक्षी दलों के समर्थक विश्लेषक उनकी छवि को अलग तरह से देख रहे हैं.
स्वतंत्र समाचार वेबसाइट मीडियास्कोप के एडिटर-इन-चीफ़ रुसेन ज़ाकिर कहते हैं कि 29 मार्च को एक ओर जब अर्दोआन युद्धरत देशों के बीच 'शांति क़ायम' करने की कोशिशें कर रहे थे वहीं दूसरी ओर 'ध्रुवीकरण' के ज़रिए वो अपने ही देश में 'संभावित संघर्ष को भड़का रहे थे.'
अर्दोआन अपने भाषण के दौरान अकसर अत्यधिक राष्ट्रवादी नज़र आते हैं और वो सेना को लेकर बयानबाज़ियां करते हैं.
उनके आलोचक कहते हैं कि वो घरेलू समर्थन जुटाने के लिए जान बूझकर समाज के धार्मिक रूढ़िवादियों और धर्म निरपेक्ष वर्गों को एक दूसरे के ख़िलाफ़ खड़ा करते हैं.
इमेज स्रोत, UKRAINIAN PRESIDENTIAL PRESS SERVICE/REUTERS
इस्तांबुल में बातचीत में भाग लेते यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय के उप प्रमुख काइरिलो ताइमोशेंको और यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार माइखिलो पोदोलियक.
इस्तांबुल में हुई बैठक से निकला क्या?
तुर्की में हुई रूस-यूक्रेन के संघर्षविराम बातचीत को लेकर अधिकतर लोगों को संशय की यह सफल होगी क्योंकि प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे कुछ ही लोगों को इसके सफल होने की उम्मीद थी.
यूक्रेनियों ने बताया है कि 'मुख्य मुद्दों' पर कोई बड़ी कामयाबी मिलती नहीं दिख रही है. इस महीने की शुरुआत में तुर्की में हुई बैठक बेनतीजा रही थी और आरोप- प्रत्यारोपण पर ख़त्म हुई थी.
तीन घंटे से चली बातचीत के बारे में बहुत कम ही जानकारी सार्वजनिक तौर पर बाहर आ पाई.
हालांकि यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य बातचीत के मुद्दे को लेकर बेहद साफ़ थे और बैठक के लिए जितना समय तय माना जा रहा था वो उससे एक घंटा पहले ही बाहर आ गए थे.
वार्ताकारों का कहना था कि उन्होंने रूस को प्रस्ताव दिया था कि यूक्रेन रक्षा गारंटी को लेकर तटस्थ नीति अपनाएगा.
ये भी पढ़ें..
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
© 2022 BBC. बाहरी साइटों की सामग्री के लिए बीबीसी ज़िम्मेदार नहीं है. बाहरी साइटों का लिंक देने की हमारी नीति के बारे में पढ़ें.
Author Profile

Latest entries
राशीफल2023.05.30Aaj Ka Rashifal 18 February 2023: आज वृषभ, कन्या सहित इन 4 राशियों पर रहेगा शिवजी की विशेष कृपा, जानें अपना भविष्यफल – NBT नवभारत टाइम्स (Navbharat Times)
लाइफस्टाइल2023.05.30सत्यप्रेम की कथा में कियारा अडवाणी की दिखी बेपनाह प्यार की झलक – Navodaya Times
धर्म2023.05.30ऋतिक रोशन ने प्रेजेंट किया पैन इंडिया फिल्म ARM का टीजर, मलयालम सिनेमा की तस्वीर बदल सकता है ये मोमेंट – Aaj Tak
विश्व2023.05.30दुनिया में कुल कितने मुसलमान हैं? किस देश में सबसे ज्यादा इस्लाम को … – ABP न्यूज़